आरयू ब्यूरो, लखनऊ। बीते कुछ दिनों से लखनऊ विकास प्रधिकरण के चीफ इंजीनियर की खींचतान में उलझे एलडीए उपाध्यक्ष शिवाकांत द्विवेदी को आज शासन ने एकाएक हटा दिया है। करीब साढ़े नौ महीना पहले ही एलडीए उपाध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले आइएएस अफसर शिवाकांत द्विवेदी से जहां एलडीए में सालों से जमे आरोपों में घिरे अधिकारियों का एक वर्ग अपनी फाइलें मनचाही रफ्तार से पास नहीं करवा पा रहा था, वहीं उपाध्यक्ष को हटाए जाने के पीछे कयास यह भी लगाया जा रहा है कि बसपा सांसद अफजाल अंसारी की पत्नी के बंगले पर एलडीए की ओर से की गयी कार्रवाई को लेकर सरकार में बैठे लोग भी उनसे नाराज थे।
आज पूर्वान्ह ही शिवाकांत द्विेवेदी को पद से हटाने के बाद शासन की ओर से लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश को वीसी का भी चार्ज लेने के लिए एलडीए भेजा गया। शुक्रवार अपरान्ह एलडीए मुख्यालय पहुंचे डीएम ने तत्कालीन वीसी से चार्ज ग्रहण करने के साथ ही मीडिया से अपनी प्रथमिकताएं बताईं। संक्षिप्त बातचीत में डीएम ने कहा कि जनता तक शासन की नीतियों का लाभ शत-प्रतिशत पहुंचाना ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसके साथ ही जनता की शिकायतों को समय से निपटाने के अलावा अवैध निर्माण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे।
पांच दिन में निरस्त करना पड़ा था मुख्य अभियंताओं से जुड़ा आदेश
बताते चलें कि एलडीए वीसी के हटाए जाने के बाद कई बातें खुलकर सामने आ रही है। पिछले महीने एसी से चीफ इंजीनियर के पद पर प्रमोट हुए चक्रेश जैन और तीन सालों से एलडीए में तैनात मुख्य अभियंता इंदू शेखर सिंह के बीच तत्कालीन वीसी ने 16 अक्टूबर को ही कार्यों का विभाजन किया था। जिसके तहत सिस गोमती क्षेत्र का समस्त कार्य इंदू शेखर सिंह व ट्रांस गोमती के सभी कामों का प्रभारी चक्रेश जैन को बनाया था, जबकि इससे पहले इंजीनियरिंग से जुड़े पूरे लखनऊ के काम अकेले इंदूशेखर सिंह ही देखते थे।
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चर्चा है कि वीसी के इस आदेश के बाद इंदू शेखर सिंह गुट के इंजीनियर व ठेकेदारों में भी खासी नाराजगी थी। जिसका असर मात्र पांच दिनों में ही उस समय देखने को मिला जब बीती 21 अक्टूबर को शिवाकांत द्विवेदी ने अपने ही आदेश को निरस्त करते हुए एक बार फिर से इंदू शेखर सिंह को पूरे लखनऊ का प्रभारी बना दिया, जबकि चक्रेश जैन को काम आवंटन के लिए अलग से आदेश करने को कहा था, हालांकि कल ही सामने आए इस आदेश के बाद आज सुबह एलडीए वीसी को ही अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। वहीं वीसी के हटाए जाने के बाद एलडीए के एक बड़े इंजीनियर के कमरे में आज दोपहर लोग बुके लेकर भी पहुंचे थे, जिसको लेकर भी एलडीए में तरह-तरह की चर्चा होती रही।
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अवैध निर्माण के ठेकेदारों पर नहीं कस सकें शिकंजा
एलडीए उपाध्यक्ष के हटाए जाने के पीछे लखनऊ में तेजी से हो रहे अवैध निर्माणों पर अंकुश नहीं लगा पाना भी बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि एलडीए वीसी शहर के हजारों अवैध निर्माणों को ही देखते रहें और इनपर लगाम लगाने के लिए उपाध्यक्ष कई बार खुद भी मौके पर पहुंचे, जबकि उनके ही कार्यालय में बैठे प्रवर्तन के कई इंजीनियर, अधिकारी व कर्मचारी ठेका लेकर शहर में बेहद संगठित तरीके से अवैध निर्माण कराते रहें।
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संगठित गिरोह को चिन्हित कर…
वहीं सख्ती बढ़ने पर कार्रवाई के नाम पर इंजीनियर व अफसर अवैध बिल्डिंग पूरी बनने के बाद कागजी कार्रवाई कर वीसी के सामने अपने नंबर बढ़ाने में लगे रहे। जानकारों के अनुसार एलडीए वीसी ने अगर समय रहते अवैध बिल्डिंगों की जगह अपने कार्यालय में बैठे अवैध निर्माण का ठेका लेने वाले संगठित गिरोह के सदस्यों को चिन्हित कर कार्रवाई कर दी होती तो लखनऊ की आम जनता को न सिर्फ अवैध निर्माण से काफी हद तक राहत मिलती, बल्कि इसके चलते सरकार की नजर में एलडीए की किरकिरी होने से भी बच जाती। हालांकि शातिर इंजीनियरों व अफसरों की जड़े शासन से लेकर सत्ता के गलियारें तक फैली होने की वजहे से इन पर कार्रवाई करना भी कोई आसान काम नहीं था।