आरयू वेब टीम।
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार से राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। आज से पहले छह महीने तक राज्यपाल शासन लागू रहा। बुधवार की मध्यरात्रि के बाद राज्यपाल शासन समाप्त हुआ था। वहीं राष्ट्रपति शासन लगने के बाद केंद्रीय कैबिनेट को आतंकवाद सहित तमाम समस्याओं से ग्रस्त इस राज्य के बारे में तमाम नीतिगत फैसले लेने का रास्ता साफ हो गया है।
बता दें कि महबूबा मुफ्ती नीत गठबंधन सरकार से जून में भाजपा की समर्थन वापसी के बाद जम्मू-मश्मीर में सियासी संकट बना हुआ है। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वहां केंद्रीय शासन लगाने की एक अधिघोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए।
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न्यूज एजेंसी पीटीआइ के अनुसार बुधवार को गजट में जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति को राज्यपाल सत्य पाल मलिक से एक रिपोर्ट मिली है और इस पर तथा दूसरी सूचना पर विचार कर वह संतुष्ट हैं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की जरूरत है।
बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान है। ऐसे मामलों में जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत वहां छह माह का राज्यपाल शासन अनिवार्य है। इसके तहत विधायिका की तमाम शक्तियां राज्यपाल के पास होती हैं।
राज्यपाल ने भंग की थी विधानसभा
गौरतलब है कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के समर्थन के आधार पर पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था, जिसके बाद राज्यपाल ने 21 नवंबर को 87 सदस्यीय विधानसभा भंग कर दी थी।
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तत्कालीन विधानसभा में दो सदस्यों वाली सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी तब भाजपा के 25 सदस्यों और अन्य 18 सदस्यों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
पहले भी लग चुका है राष्ट्रपति शासन
जम्मू-कश्मीर में आज से पहले भी राष्ट्रपति शासन लागू किया जा चुका है। साल 1989 से 1996 तक छह सालों के लिए राष्ट्रपति शासन लगा था। उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य के नए राज्यपाल के तौर पर जगमोहन की नियुक्ति के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, राष्ट्रपति शासन समाप्त होने के बाद फिर से फारूक अब्दुल्ला की सरकार बनी थी।
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