स्पाइस जेट को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, 13 सौ करोड़ हर्जाने वाली कलानिधि की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पाइस जेट को बड़ी राहत दी है। बुधवार को केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें स्पाइस जेट से लंबे समय से चले आ रहे शेयर हस्तांतरण विवाद में 13 सौ करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना मांगा गया था। इसपर न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की पीठ ने यह फैसला सुनाया।

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति चंदुरकर ने कहा, शीर्ष अदालत ने देरी के आधार पर उनकी याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 23 मई के आदेश को बरकरार रखा। इस मामले में विस्तृत निर्णय आज शाम को अपलोड किया जाएगा।

दरअसल पिछले साल मई में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें मध्यस्थता के फैसले को बरकरार रखा गया था। जिसमें स्पाइसजेट और उसके प्रमोटर अजय सिंह को मारन को ब्याज सहित 579 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि पूर्व प्रमोटरों ने अपनी अपीलें दायर करने और पुनः दायर करने में देरी करके एक सोचा-समझा जुआ खेला है।

यह विवाद मारन और स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह के बीच एयरलाइन से संबंधित नियंत्रण और वित्तीय दायित्वों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे व्यावसायिक विवाद से उत्पन्न हुआ। केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन ने मध्यस्थता कार्यवाही के दौरान शुरुआत में 1,300 करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना मांगा था। कलानिधि मारन और केएएल एयरवेज ने उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।

यह भी पढ़ें- लैंडिंग से पहले फटा स्पाइसजेट की फ्लाइट का टायर, बाल-बाल बचे पैसेंजर्स

बता दें कि मामला 2015 की शुरुआत का है। उस समय स्पाइसजेट को घाटा हो रहा था। कलानिधि मारन तथा उनकी कंपनी केएएल एयरवेज ने एयरलाइन में अपनी 58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी इसके सह-संस्थापक अजय सिंह को केवल 2 रुपये के प्रतीकात्मक मूल्य पर बेच दी थी। समझौते के रूप में, मारन और केएएल एयरवेज ने स्पाइसजेट को वारंट और तरजीही शेयर जारी करने के लिए 679 करोड़ रुपये का भुगतान करने का दावा किया था। मारन ने 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। आरोप लगाया कि स्पाइसजेट ने परिवर्तनीय वारंट और तरजीही शेयर जारी नहीं किए और न ही पैसे वापस किए।

यह भी पढ़ें- हाई कोर्ट का फैसला रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पति-पत्‍नी की गुप्त कॉल रिकॉर्डिंग भी मानी जाएगी सबूत