आरयू वेब टीम। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जमकर फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े ने सख्त लहजे में मोदी सरकार से पूछा है कि आप यदि इन कानूनों पर रोक नहीं लगाना चाहते हैं, तो हमें कदम उठाना पड़ेगा। कोर्ट ने पूछा कि आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना आदेश जारी करेगा।
साथ ही कोर्ट ने किसानों से पूछा कि क्या वो हमारी बनाई हुई कमेटी के पास जाएंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है। ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में है या नहीं। चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि अगर सरकार ने कृषि कानूनों पर रोक नहीं लगाई, तो हम रोक लगा देंगे। सरकार जिस तरह से इस मामले को ले रही है, उससे हम निराश हैं।
उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि सरकार की किसानों से क्या बातचीत चल रही। क्या कृषि कानून कुछ समय के लिए रोके नहीं जा सकते? चीफ जस्टिस ने कहा कि इन दिनों में कई किसानों की मौत हो चुकी है और कई आत्महत्या भी कर चुके हैं। बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन में शामिल हैं। आखिर चल क्या रहा है? कृषि कानूनों के समर्थन में एक भी अर्जी हमारे पास नहीं आई है।
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देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ तो हम सभी जिम्मेदार होंगे। हम नहीं चाहते कि किसी तरह के खून-खराबे का कलंक हम पर लगे। इसके लिए केंद्र सरकार को पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। आप कानून ला रहे हैं, इसलिए आप ही बेहतर समझते हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों में कहा गया है कि अदालतें कानूनों पर रोक नहीं लगा सकतीं। उधर, किसानों ने रविवार को 500 जत्थे बंदियों का डेटा तैयार किया और वकील प्रशांत भूषण से तीन घंटे चर्चा चली। कोर्ट को बताया जाएगा कि आंदोलन में सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर के किसान संगठन शामिल हैं। किसान संगठन नए कानूनों की वजह से होने वाले नुकसान के बारे में कोर्ट को बताएंगे। एक-एक बात बारीकी से बताई जाएगी। यह भी बताएंगे कि किस तरह से उन्हें आंदोलन करने पर मजबूर किया गया।