आरयू वेब टीम। मणिपुर हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हुई है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने हालात पर चिंता जताते अहम टिप्पणी कर कहा कि राष्ट्रपति के पास किसी जनजाति को एसटी के रूप में पहचानने, उसकी सिफारिश करने की शक्ति होती है। ये शक्ति हाई कोर्ट के पास नहीं है। इस दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं। केंद्र भी निगरानी कर रहा है, स्थितियों को लगातार देखा जा रहा है।
सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जो लोग विस्थापित हुए हैं क्या सरकार उनको वापस उनका स्थान या घर दिलाएगी? एसजी ने कहा कि सामान्य स्थिति फिर से शुरू होने दें। 35 सीएपीएफ जवानों की नियुक्ति की गई। एक वरिष्ठ सदस्य को उस स्थान पर वापस भेज दिया गया है। पिछले दो दिनों में राज्य में कोई हिंसा नहीं हुई। सामान्य स्थिति फिर से शुरू हो रही है। हमें थोड़ा समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में एसजी ने कहा कि हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों को घर और खाना देने के लिए रिलीफ कैंप लगाए जा रहे हैं।
इसके अलावा वहां सेना और अन्य अर्धसैनिक बल काम कर रहे हैं और वे सफल हैं सब कुछ शांत हो जाए। दस दिन बाद इस मामले पर सुनवाई करें। सीजेआई ने कहा कि विस्थापितों का क्या? क्या सरकार उपाय कर रही है ताकि वे अपने स्थान पर पहुंचें। एसजी ने कहा सि बिना किसी रुकावट के और सुरक्षित तरीके से यह करना सरकार कि प्राथमिकता है।
सीजेआई ने कहा कि धार्मिक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाने होंगे। इस पर एसजी ने कहा कि केवल कुछ धार्मिक स्थलों को ही नहीं, बल्कि हर जगह व्यक्ति और संपत्ति की रक्षा करनी होगी। इसके कोर्ट ने कहा कि हम एसजी मेहता को याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए कह रहे हैं याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि हिंसा प्रभावित इलाके में फंसे लोगों को वहां से निकाले जाने की जरूरत है। सरकार जो कह रही है कि स्थिति सामान्य हो रही है यह सही बात नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ये मानवीय समस्या है। हमारी चिंता जान माल के नुकसान को लेकर है।
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हमने अपनी चिंताओं से एसजी को अवगत कराया है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि सरकार जरूरी कदम उठा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने एसजी की ओर से दिए गए बयान को आदेश में दर्ज किया। एसजी ने कोर्ट को बताया है कि गत दो दिनों से कोई हिंसा नहीं हुई और कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील रविवार को दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से ट्राइबल्स के मद्देनजर पक्ष रखा गया। कोर्ट ने सरकार से नया स्टेटस रिपोर्ट देने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 17 मई को होगी।