आरयू वेब टीम।
अयोध्या विवाद के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा निर्णय लिया है। मामले की गंभीरता को समझते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे मध्यस्थता (बातचीत) से हल करने को कहा है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्ला की अगुवाई में तीन सदस्यीय पैनल भी गठित कर दिया है। जिसमें आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर और सीनियर एडवोकेट श्रीराम पंचू भी शामिल हैं। ये कमेटी सभी पक्षों से बातचीत कर आठ हफ्तों में मामले को हल करने की कोशिश करेगी।
मीडिया रिपोर्टिंग पर रहेगी रोक
आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि पूरी मध्यस्थता की प्रक्रिया अयोध्या में होगी। इसकी कोई मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी। मध्यस्थता की प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू हो जाएगी। समझा जा रहा है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक कोर्ट ने अगामी लोकसभा चुनाव व मामले में अहम मोड़ को देखते हुए लगाई है।
वही मध्यस्थता शुरू होने के चार हफ्ते बाद एक प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है। आठ हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। इसके बाद कमेटी को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मध्यस्थों को लगता है कि इस पैनल में कुछ लोगों को शामिल किया जाए, तो वह शामिल कर सकते हैं।
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बताते चलें कि इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ कर रही है। कोर्ट विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई कर रही।
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उल्लेखनीय है कि आज से पहले छह मार्च को अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने अहम सुनवाई की थी। कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके साथ ही कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा था। जस्टिस बोबड़े ने कहा था कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए।