आरयू वेब टीम। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और खुद को सीएम की प्रेमिका होने का दावा करने वाली युवती का वीडियो शेयर करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद रिहा करने का प्रदेश सरकार को आदेश दिया है।
यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए आज देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि “राय अलग-अलग हो सकती है, प्रशांत को शायद इस ट्वीट को प्रकाशित या लिखना नहीं चाहिए था, लेकिन किस आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था।”
स्वतंत्र पत्रकार, प्रशांत कन्नौजिया के पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी की निजी आजादी का हनन हो रहा है तो हम हस्तक्षेप करेंगे। नागरिक की स्वतंत्रता पवित्र है और इसकी गारंटी संविधान द्वारा दी गई है, इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को एक ट्वीट के लिए 11 दिन तक जेल में नहीं रख सकते हैं। ये कोई हत्या का मामला नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मजिस्ट्रेट का ऑर्डर सही नहीं है। उसे तुरंत रिहा किया जाए।
वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने कहा बिना वर्दी के दो पुलिसवालों उनके घर आए थे और प्रशांत को गिरफ्तार कर ले गए थे। पुलिसवालों ने न तो उन्हें प्राथमिकी की कॉपी दी, न ही कोई वारंट या आधिकारिक दस्तावेज़। हमारे घर का पता पुलिस ने हमारे एक दोस्त से लिया था।
उल्लेखनीय है किे छह जून को कानपुर की एक युवती सीएम आवास पहुंची थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना प्रेमी बताते हुए उनसे मिलने की जिद पर अड़ी थी। इस दौरान युवती अपने साथ स्टांप पेपर पर लिखा सीएम के नाम से एक प्रेम पत्र भी लाई थी। इसकी जानकारी लगने पर कुछ टीवी चैनल के पत्रकारों ने उसकी बाइट ली थी। इस बाइट में युवती ने सीएम से एक साल से संपर्क में रहने के अलावा कई हैरतअंगेज दावे कर डाले थे, हालांकि युवती की बातों और हरकतों को देखकर कयास लगाया जा रहा था कि उसकी मानसिक स्थिति कुछ ठीक नहीं है, वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना था कि ये सिर्फ सीएम की छवि धूमिल करने की विरोधियों की साजिश है।
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दूसरी ओर पत्रकारों द्वारा ली गयी बाइट सोशल मीडिया पर कुछ ही देर में वायरल हो गयी थी। इसी बाइट को प्रशांत कन्नौजिया ने अपने ट्विटर एकाउंट से सात जून को शेयर कर दिया था। साथ उन्होंने बाइट के साथ योगी को लेकर एक टिप्पणी भी की थी। जिसके बाद हरकत में आई लखनऊ की हजरतगंज पुलिस ने एक एसआइ की तहरीर पर प्रशांत के खिलाफ कुछ धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
ये था लखनऊ पुलिस का दावा-
बता दें कि इससे पहले लखनऊ की हजरतगंज पुलिस की ओर से बीती आठ जून को मीडिया को जानकारी दी गयी थी कि सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी और अफवाह फैलाने के मामले में मूल रूप से प्रतापगढ़ के रानीगंज निवासी प्रशांत कन्नौजिया को उनके दिल्ली के वर्तमान पते मंडावली फाजलपुर थाना दक्षिण विनोद से गिरफ्तार किया गया है। प्रशांत के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में आइपीसी की धारा 500 व 505 के अलावा आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत पुलिस के पास प्रमाणिक साक्ष्य हैं। इतना ही नहीं हजरतगंज पुलिस ने अपने एक प्रेस नोट में ये भी कहा था कि कड़ाई से पूछताछ करने पर प्रशांत कन्नौजिया ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। वर्तमान में प्रशांत कन्नौजिया किसी भी मीडिया एजेंसी से नहीं जुड़े हैं। हजरतगंज पुलिस ने प्रशांत की दो फोटो और एक वीडियो भी मीडिया में जारी किया था।