अयोध्‍या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा दोनों पक्ष बैठकर सुलझाए, जरूरत हुई तो करेंगे मध्‍यस्‍था

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आरयू वेब टीम।

सुप्रीम कोर्ट ने आज आयोध्‍या में चल रहे विवादित ढांचे पर एक अहम टिप्‍पणी करते हुए कहा कि ‘‘संवेदनशील’’ और ‘‘भावनात्मक मामला’’ इसका हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नये सिरे से प्रयास करने चाहिए। आप सभी साथ बैठ सकते हैं और सौहार्द्रपूर्ण बैठक कर सकते हैं।

प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है और उन्होंने सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश भी की। पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल हैं।

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उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की जब भाजपा नेता सुब्रह्मणयम स्वामी ने इस मामले पर तत्काल सुनवायी की मांग की। स्वामी ने कहा कि इस मामले को छह साल से भी ज्यादा समय हो गया है और इस पर जल्द से जल्द सुनवायी किये जाने की जरूरत है।

सांसद ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से बात की थी और उन्होंने कहा था कि इस मामले को हल करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सर्वसम्मति से किसी समाधान पर पहुंचने के लिए आप नये सिरे से प्रयास कर सकते हैं। अगर जरूरत पड़ी तो आपको इस विवाद को खत्म करने के लिए कोई मध्यस्था भी चुनना चाहिए। अगर दोनों पक्ष चाहते हैं कि मैं उनके द्वारा चुने गये मध्यस्थों के साथ बैठूं तो मैं इसके लिए तैयार हूं। यहां तक कि इस उद्देश्य के लिए मेरे साथी न्यायाधीशों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।’’

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अगर दोनों पक्ष चाहें तो वह प्रधान वार्ताकार भी नियुक्त कर सकता है। इसके बाद पीठ ने स्वामी से कहा कि वे दोनों पक्षों से सलाह करें और 31 मार्च तक फैसले के बारे में सूचित करें।

गत वर्ष 26 फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने ढहाए गए विवादित ढांचे के स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की मांग करने वाली स्वामी की याचिका के साथ उन्हें अयोध्या विवाद से संबंधित लंबित मामलों में बीच बचाव करने की अनुमति दी थी।