आरयू वेब टीम। भाजपा से निलंबित नेता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को बड़ी राहत मिली। नूपुर के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज केस को शीर्ष अदालत ने दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है। इससे पहले 19 जुलाई को जस्टिस सूर्यकांत और जमशेद पारडीवाला की बेंच ने पैगम्बर मोहम्मद साहब पर टिप्पणी मामले में नूपुर की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। साथ ही आठ राज्यों में दर्ज एफआइआर दिल्ली ट्रांसफर करने नोटिस जारी किया था।
सुनवाई के दौरान आज नूपुर के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि कई पक्षों के जवाब नहीं आए हैं। पश्चिम बंगाल से हमें बार-बार समन आ रहा है। इसपर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि लेकिन हमने दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई हुई है। इसके बाद मनिंदर सिंह ने कहा कि बेहतर हो कि सभी केस दिल्ली ट्रांसफर कर दिए जाएं।
इसके बाद जस्टिस ने पूछा कि 19 जुलाई को हमारी सुनवाई के बाद क्या कोई और एफआइआर हुई है? जस्टिस ने कहा कि हम सभी एफआइआर को एक साथ जोड़ कर दिल्ली ट्रांसफर कर देंगे। इसपर मनिंदर ने कहा कि एफआइआर रद्द करवाने के लिए भी दिल्ली हाई कोर्ट में ही याचिका का अनुमति मिले। इसपर जज ने कहा कि हां, ऐसा किया जाएगा।
इसके बाद पश्चिम बंगाल की वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि दिल्ली में दर्ज जिस एफआइआर को पहली एफआइआर बताया जा रहा है, उसमें नूपुर आरोपी नहीं शिकायतकर्ता है। जज ने कहा कि तो पहली एफआइआर कौन सी है, जिसमें नूपुर आरोपी है? मेनका ने बताया कि वह एफआइआर मुंबई की है।
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मनिंदर सिंह ने इसपर कहा कि नूपुर की जान पर खतरे को ध्यान में रखा जाए। जस्टिस ने फिर कहा कि हम दिल्ली ही ट्रांसफर करेंगे। मेनका ने इसपर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह गलत होगा। पहली एफआइआर मुंबई की है। इसपर जस्टिस ने कहा कि जांच एजेंसी (दिल्ली पुलिस) अपना काम कर लेगी।
मेनका ने दखल देते हुए कहा कि पहले सभी एफआइआर दिल्ली ट्रांसफर की मांग एक बार खारिज हो चुकी है। बेहतर हो कि एक संयुक्त एसआइटी बना दी जाए। इसपर जस्टिस ने कहा कि हमने बाद में यह पाया कि सुरक्षा कारणों से याचिकाकर्ता का देश भर की कोर्ट में जाना संभव नहीं है।
जस्टिस सूर्यकांत ने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता ने अपने ऊपर दर्ज एफआइआर रद्द करने या फिर उन्हें दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की ताकि एक ही एजेंसी जांच करे। एक जुलाई को हमने मांग खारिज की, लेकिन बाद में नए तथ्य हमारे सामने आए।”
जस्टिस ने कहा, “हम एफआइआर रद्द करने की मांग पर कोई आदेश नहीं दे रहे हैं। इसके लिए याचिकाकर्ता दिल्ली हाई कोर्ट में मांग रख सकती है। हमने याचिकाकर्ता की जान पर गंभीर खतरे पर विचार किया है। हम सभी एफआइआर दिल्ली ट्रांसफर कर रहे हैं। सबकी जांच दिल्ली पुलिस करेगी।”