आरयू ब्यूरो/रायबरेली। उत्तर प्रदेश में कम संख्या वाले स्कूलों को योगी सरकार द्वारा बंद करने के आदेश के खिलाफ कई राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने विरोध तेज कर दिया है। इसी बीच आज पूर्व कैबिनेट मंत्री व अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी आंदोलन तेज करने की बात कही है।
स्वामी प्रसाद ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की योग्यता पर भी आज सवाल उठाते हुए कहा कि आजादी के बाद ये पहले ऐसे विफलतम मुख्यमंत्री हैं जो सरकार और बच्चों के स्कूल नहीं चला पा रहे हैं। प्रतापगढ़ से लखनऊ जाते समय रायबरेली के सारस चौराहे पर रुके स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यूपी की योगी सरकार 27 हजार से अधिक स्कूलों को मर्ज कर रही है। सरकार कंपोजिट विद्यालयों की जगह कंपोजिट शराब के ठेके खोल रही है।
बताते चलें कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपनी जनता पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं के साथ ही हालत में स्कूलों के बंद करने व शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर लखनऊ में विधानसभा का घेराव भी किया था। इसके बाद आज उन्होंने स्कूल बंद करने के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने का ऐलान किया है।
आज मीडिया से बात करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि राइट टू एजुकेशन नियम के तहत छह से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा देना सरकार की पहली जिम्मेदारी है। इसके बावजूद यूपी सरकार 27 हजार 764 स्कूल बंद करने की तैयारी में है। पहले चरण में पांच स्कूल बंद करने के लिए सूचीबद्ध स्कूलों के नाम मांगे जा चुके हैं। यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। आगे कहा कि वन नेशन वन एजुकेशन की बात होनी चाहिए। जनता पार्टी सभी मंडलों में जिलाधिकारी के माध्यम से विरोध दर्ज कराएगी। आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक आदेश वापस नहीं लिया जाता है।
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योगी सरकार पर हमला जारी रखते हुए स्वामी ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते प्राथमिक विद्यालय दुर्दशा के शिकार हैं। प्रदेश के 15 हजार ऐसे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल हैं जिसमें प्रति स्कूल मात्र एक टीचर है। एक टीचर उस स्कूल में कैसे पढ़ाएगा। योगी जी शिक्षक भर्ती करने के बजाय स्कूल ही बंद कर रहे हैं। आजादी के बाद ये पहले ऐसे विफलतम मुख्यमंत्री हैं जो सरकार और बच्चों के स्कूल नहीं चला पा रहे हैं। इनकी वजह से बच्चों की पढ़ाई छूट रही है। स्कूल बंद करके पढ़ाई बंद की जा रही है। ऐसे में गरीब बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। गांवों के बच्चों को दूरस्थ स्कूलों में जाना होगा।




















