आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक ही सीट पर कई सालों से जमे दर्जनों बाबू व चतुर्थ श्रेणी कर्मी किसी भी कीमत पर अपनी सीट से हटने को तैयार नहीं है। अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा के तबादले करने व सचिव पवन कुमार गंगवार के चेतावनी जारी करने के बाद भी कर्मचारी अपनी सीट व कुछ अफसर अपने मातहत का मोह नहीं छोड़ रहें हैं।
ट्रांसफर किए जाने के बाद एक महीने से ज्यादा का समय बीतने पर भी ऐसी स्थिति सामने आने पर गुरुवार को वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने भी बैठक कर अनुभागाध्यक्षों को चेतावनी देते हुए कर्मियों को उनकी नवीन तैनाती पर ज्वाइनिंग कराने के बाद ही काम कराने का आदेश दिया है।
उपाध्यक्ष के सख्त रुख के बाद आज शाम कुछ कर्मचारियों ने जरूर आनन-फानन में अपने पुराने अनुभागाध्यक्षों से विदाई पत्र लेते हुए नवीन चार्ज ग्रहण किया, हालांकि लेखा, गणना, नियोजन, इंजीनियरिंग व प्रवर्तन समेत कुछ अन्य अनुभागों में कुछ बाबू व अन्य कर्मी अपनी पुरानी ही सीट पर शाम तक काम करते रहें। ऐसे में सवाल उठ रहें हैं कि एलडीए में शासनादेश का पालन नहीं कराने का असली जिम्मेदार कौन है।
वहीं उपाध्यक्ष से पहले कल ही अपर सचिव ने भी एलडीए के सभी अनुभागाध्यक्ष को पत्र लिखते हुए ट्रांसफर किए गए कर्मियों को कार्यमुक्त कर अधिष्ठान अनुभाग को सूचना देने को कहा था। साथ ही ज्ञानेंद्र वर्मा ने यह भी चेतावनी दी थी कि ऐसा नहीं करने वाले अनुभागाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वीसी को संस्तुति भेजी जाएगी।
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इस बारे में उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने आज दोपहर में बताया कि मामला संज्ञान में आया है कि अब तक 60 कर्मियों ने तबादला होने के बाद नवीन तैनाती स्थल पर काम करना शुरू नहीं किया है। ऐसे कर्मियों से आज ही तबादले के आदेश का पालन कराया जाएगा। इसके बाद आज शाम वीसी ने अपने मातहतों के साथ बैठक कर चेतावनी देते हुए उनके पेंच कसें, जिसका कुछ हद तक असर भी दिखाई दिया।
एक महीना पहले सचिव ने भी था चेताया
दूसरी ओर अपर सचिव से पहले सचिव पवन कुमार गंगवार ने भी 21 जून को तबादला लिस्ट जारी होने के बाद 27 जून को सभी अनुभागाध्यक्ष को पत्र लिखते हुए नवीन तैनाती पर ज्वाईन नहीं करने वाले कर्मचारियों की लिस्ट 27 जून की शाम तक ही अधिष्ठान भेजने का निर्देश दिया था।
सचिव ने कहा था नहीं मिलेगा जून का वेतन, लेकिन मिल गया
इसके साथ ही सचिव ने ट्रांसफर हुए कर्मियों के जून की सैलरी भी कार्यभार ग्रहण करने पर ही जारी करने की चेतावनी जारी की थी। हालांकि सचिव की चेतावनी को भी हवा में उड़ाते हुए न सिर्फ मनबढ़ कर्मचारियों ने अपनी सीट नहीं छोड़ी, बल्कि जुगाड़ के दम पर अधिष्ठान की ओर से जून का वेतन भी जारी कर दिया गया। सचिव के आदेश को दरकिनार कर वेतन जारी होने पर अधिष्ठान से जुड़े अफसर-कर्मियों की भूमिका पर भी एक बार फिर सवाल उठे थे।
जानकार मानते हैं भ्रष्टाचार व मनमानी को वजह
आदेश व तमाम चेतावनियों के बाद भी कर्मियों के सीट नहीं छोड़ने की वजह एलडीए के जानकार भ्रष्टाचार व मनमानी मानते हैं। सूत्रों की मानें तो अफसरों के खास बनें कर्मी न सिर्फ भ्रष्टाचार व मनमानी कर अपना भला करते हैं, बल्कि अपने अधिकारियों की हर तरह की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं। यहीं वजह है कि अधिकारी भी अपने चहेते मातहतों को बचाने के लिए भरसक कोशिश करतें हैं, कुछ अधिकारी व इंजीनियरों ने तो अपर सचिव व वीसी तक को पत्र लिखकर दुखड़ा सुनाया था कि इनके अधीनस्थ कर्मी के चले जाने से शासन की मंशा वाले काम तक प्रभावित हो जाएंगे, हालांकि वीसी ने तमात सिफारिशों को दरकिनार करते हुए शासनादेश के पालन को प्राथमिकता दी।
अब भी कर रहें पुरानी सीट पर ही काम
तबादला होने के करीब 40 दिन बीतने व वीसी, सचिव व अपर सचिव की चेतावनी के बाद भी लेखा अनुभाग में बाबू के पद पर तैनात अशोक कुमार यादव, ललित सिंह बिष्ट, रवि शंकर, सुमित राजपूत, गणना अनुभाग में संतोष कुमार, अनिल अस्थाना, ध्रुव मल्होत्रा, धर्मेंद गिरी, अदनान खान, शैलेंद्र गुप्ता के अलावा कुछ अधिशासी अभियंताओं के पीडब्ल्यूसी व प्रवर्तन समेत अन्य अनुभागों में तैनात कुछ कर्मी अपने पुराने पटल पर ही जमे रहें।
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बताते चलें कि समूह ‘ग’ के कर्मियों का एक सीट व क्षेत्र में तीन साल का समय पूरा होने पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने यूपी के सभी विभागों को इनके पटल परिवर्तन का आदेश दिया था। 13 मई को जारी इस शासनादेश के क्रम में अपर सचिव ने 21 जून को 115 बाबू, अमीन व अन्य समेत 98 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भी ट्रांसफर किया था।
तबादला लिस्ट जारी होते ही उठे अधिष्ठान के अफसर-कर्मियों पर सवाल
213 कर्मियों की तबादला लिस्ट जारी होने के बाद भी इसपर सवाल उठे थे। एलडीए के ही कर्मियों का आरोप था कि इन तबादलों में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व मनमानी की गयी है। यही वजह है कि सालों व दशकों से एक ही सीट पर जमे कई कर्मियों का न सिर्फ उनके ही वर्तमान अनुभागाध्यक्ष के अधीन तबादला किया गया है, बल्कि कई अनुभागों में दस-दस सालों से जमे पीए, बाबूओं व चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों का नाम भी इस लिस्ट में नहीं शामिल किया गया है।
शिकायतों पर हटने वाले भी पहुंचे पुरानी जगह
वहीं कुछ नाम ऐसे भी इस लिस्ट में शामिल किए गए हैं, जिनको कुछ समय पहले ही गंभीर शिकायतें मिलने पर प्रवर्तन व अन्य अनुभागों से हटाया गया था। यह शिकायतें सामने आने पर अधिकारियों ने तबादला लिस्ट में शामिल गलत नामों की छटनी करने के साथ ही एक ही पटल पर सालों से जमें छूटे कर्मियों का भी ट्रांसफर करने की बात कही थी, लेकिन बाद में इस मामले को दबा दिया गया।