आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपने ही प्रमोशन से इंकार करने वाले यूपी के संदिग्ध अफसर व कर्मियों की भविष्य में अब मनमानी नहीं चल सकेगी। प्रमोशन लेने से इंकार करने वाले अफसर-कर्मियों को भविष्य में मांगने पर भी प्रमोशन नहीं मिलेगा। इसके अलावा इन्हें कार्यप्रणाली के प्रति संदिग्ध मानते हुए महत्वपूर्ण और संवेदनशील पदों पर तैनाती न देने पर भी विचार किया जाएगा।
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गुरुवार को इससे संबंधित कार्मिक विभाग का यह शासनादेश जारी करते हुए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने हुए यूपी के सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि शासन की जानकारी में आया है कि कुछ कार्मिक पदोन्न्ति से इंकार करते हुए नया कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं या फिर दोबारा अपने हिसाब से इसकी मांग करते हैं। इस प्रकार के मामलों में शासन की कोई स्थापित व्यवस्था न होने के कारण नियुक्ति प्राधिकारियों को फैसला लेने में असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।
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इसीलिए व्यवस्था निर्धारित करते हुए यह फैसला किया गया है कि एक बार इंकार करने वालों को भविष्य में पदोन्नति के लिए बनने वाली वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। जिन सरकारी कार्मिकों द्वारा पदोन्नति से इंकार किया जाता है उनके संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी इसके कारणों का स्वयं विश्लेषण करेगा। इसके आधार पर वह स्वयं फैसला करेगा कि संबंधित कार्मिक को भविष्य में जनहित में संवदेनशील और महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाए या न किया जाए।