आरयू वेब टीम। तमिलनाडु विधानसभा के वर्ष 2024 के पहले सत्र में उस समय अलग दृश्य देखने को मिला, जब तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सोमवार को सरकार द्वारा तैयार किए गए पारंपरिक अभिभाषण को पढ़ने से ही इनकार कर दिया। राज्यपाल ने दावा किया कि अभिभाषण में ऐसे कई अंश हैं, जिनसे वह तथ्यात्मक और नैतिक आधार पर असहमत हैं और उन पर अपनी आवाज देना एक संवैधानिक उपहास होगा।
गवर्नर ने कहा कि, राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान दिखाने और इसे संबोधन के आरंभ और अंत में बजाने के मेरे बार-बार अनुरोध और सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया है। इस संबोधन में कई अंश हैं जिनसे मैं तथ्यात्मक और नैतिक आधार पर स्पष्ट रूप से असहमत हूं। मेरा उन्हें अपनी आवाज देना एक संवैधानिक उपहास होगा। इसलिए, सदन के संबंध में, मैं अपना संबोधन समाप्त करता हूं। उन्होंने कहा, ”लोगों की भलाई के लिए इस सदन में सार्थक और स्वस्थ चर्चा होने की कामना करता हूं।” इसके बाद तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु ने राज्यपाल के भाषण की तमिल व्याख्या पढ़ना शुरू किया।
अध्यक्ष ने कहा कि “तमिलनाडु सरकार को राज्यपाल के पारंपरिक अभिभाषण के लिए मंजूरी मिल गई और वह अपना अभिभाषण पढ़ने के लिए यहां आए थे। उन्होंने अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ा, लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं देना चाहता। गवर्नर ने यह भी कहा कि राष्ट्रगान गाया जाना चाहिए था। हर किसी की कई राय होती हैं, लेकिन अगर हम हर बात बोलेंगे तो यह नैतिक नहीं होगा। यह सरकार, मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक कई अलग-अलग राय के बावजूद उच्च पद पर बैठे राज्यपाल के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेंगे।
मैं तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि से अनुरोध कर रहा हूं, आप जो आपके दिल में है उसे बोलें। हमारे दिल में जो है वह यह है कि बाढ़ और चक्रवात ने प्रभावित किया है। हमें कोई फंड नहीं मिला, एक पैसा भी नहीं। पीएम केयर फंड में कई बेहिसाब फंड हैं। क्या हम 50 हजार करोड़ मांग सकते हैं? यह अच्छा होगा यदि राज्यपाल इसे हमारे लिए प्राप्त कर लें।”
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विधानसभा स्पीकर ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि, ”तमिलनाडु विधानसभा सावरकर और गोडसे के रास्ते पर चलने वालों से कम नहीं है।” स्पीकर द्वारा अपना अभिभाषण पूरा करने के तुरंत बाद राज्यपाल राष्ट्रगान के पारंपरिक गायन का इंतजार किए बिना सदन से चले गए। इसके बाद तमिलनाडु विधानसभा ने राज्यपाल के अभिभाषण को पूर्ण रूप से दिया हुआ मानने का प्रस्ताव पारित किया, जिसमें उन अंशों को भी शामिल किया गया जो नहीं पढ़े गए थे।
बता दें कि, इसी तरह के दृश्य पिछले साल नौ जनवरी 2023 को देखे गए थे, राज्यपाल आरएन रवि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव को अपनाने के बाद हड़बड़ी में बाहर चले गए थे, जिसमें राज्यपाल द्वारा पारंपरिक सरकार द्वारा तैयार किए गए संबोधन के बाहर जो भी बात की गई थी, उसे सदन के रिकॉर्ड से हटाने की मांग की गई थी।