आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लंबे समय से गोमतीनगर के विपुल खण्ड में खाली पड़े प्लॉट को निशाना बनाकर उसे फर्जी तरीके से बेचने वाले गैंग का गोमतीनगर पुलिस ने पर्दाफाश किया है। दो महिलाओं समेत पकड़े गए छह ठगों द्वारा अब तक फर्जी कागजात और फर्जी पहचान के दम पर चार प्लॉट को बेचकर तीन करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी करने का मामला सामने आया है। एसएसपी दीपक कुमार और एएसपी नार्थ अनुराग वत्स ने आज कमांड कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी पत्रकारों को दी।
ऐसे करते थे ठगी
एसएसपी ने बताया कि पकड़ा गया गिरोह विपुल खण्ड में उन प्लॉट को टारगेट करता था, जिसे देखने से लगता हो कि इसकी देखभाल के लिए कई सालों से कोई नहीं आया। उसके बाद एलडीए कर्मचारियों से उसी प्लॉट के रजिस्ट्री के कागजात लेकर नोएडा या गाजियाबाद में क्लोनिंग द्वारा बिल्कुल उसी के जैसे रजिस्ट्री के पेपर तैयार कराकर कर्मचारी को असली पेपर लौटा देते थे। जबकि क्लोन किए हुए पेपर को ग्राहक को दिखाकर जमीन का सौदा करते थे।
बैंक के फर्जी खातों में पैसा कराते थे ट्रांसफर
दीपक कुमार के अनुसार प्लॉट खरीदने वालों को शक न हो इसके लिए जालसाजों ने पूरी प्लानिंग कर रखी थी। प्लॉट के असली मालिक के नाम और पते की पुष्टि के लिए उसी के नाम से यूपी कॉपरेटिव बैंक में एकाउंट खोलने और दूसरे डॉक्यूमेंट भी तैयार कराते थे। अधिकतर ग्राहकों से ये पैसा उसी फर्जी खाते में भेजने के लिए कहते थे। बातचीत के दौरान किसी को शक न हो इसके लिए भी वह प्लॉट के असली मालिकों की लोकेशन से लेकर पारिवारिक स्थिति और उसके सदस्यों के बारे में भी पूरी जानकारी पता कर लेते थे। इस काम में भी एलडीए के कर्मचारी उनकी सहायता करते थे।
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आफताब के पकड़े जाने पर सामने आएगा एलडीए कर्मचारियों का नाम
एएसपी नार्थ अनुराग वत्स ने बताया कि फरार चल रहा आफताब एलडीए के कर्मचारियों से प्लॉट के कागजात हासिल करने के साथ ही दूसरी जानकारी भी लेता था। अफताब के पकड़े जाने पर एलडीए के किन-किन कर्मचारियों की इसमें संलिप्ता है, यह पता चल जाएगा। वहीं एलडीए अधिकरियों को भी घटना के संबंध में अवगत करा दिया गया है। जिससे कि भविष्य में इस तरह की घटना न होने पाए।
इनकी हुई गिरफ्तारी
गोमतीनगर के विपुल खण्ड तीन निवासी मनोज कुमार सिंह, इलाहाबाद जिले के गंगा नगर कैण्ट निवासी जियालाल, गोमतीनगर के विकास खण्ड पांच निवासी राघवेंद्र प्रताप सिंह, अलीगंज के सेक्टर एम निवासी कृति द्विवेदी, इलाहाबाद के कैण्ट क्षेत्र निवासी लक्ष्मी और शशि को फिलहाल गोमतीनगर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
वहीं इस मामले में आफताब, विरेंद्र कुमार यादव समेत पकड़े गए राघवेंद्र का पिता हुकुम सिंह व संजय उसकी पत्नी दीपा समेत अन्य लोग फरार बताए जाते हैं।
प्लॉट की बाउंड्री कराने पहुंचा पीडि़त तो खुला मामला
हुकुम सिहं और उनका बेटा अपने विराम खण्ड दो निवासी रिश्तेदार विरेंद्र कुमार सिंह के पास पहुंचे और विपुल खण्ड चार के प्लॉट संख्या संख्या 159 को अपने परिचित का बताते हुए किश्तों में 87 लाख 50 हजार रुपए ऐंठ लिए। जबकि प्लॉट की रजिस्ट्री के समय असली मालिक प्रतिमा चंद्र की जगह अपने गैंग की शशि को खड़ा कर दिया। शशि के फर्जी खाते में ही अधिकतर रुपए भी ट्रांसफर कराए गए।
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विरेन्द्र ने बताया कि वह कुछ समय पहले प्लॉट पर चाहरदीवारी बनवाने पहुंचे तो वहीं के एक आदमी ने प्लॉट के असली मालिक से उनकी मोबाइल पर बात करा दी। जिसके बाद पूरा मामला समझ में आने पर विरेंद्र ने एएसपी नार्थ से मिलकर जालसाजी के बारे में अवगत कराया। एएसपी की जानकारी में मामला आते ही फॉस्ट हुई पुलिस ने गैंग के खिलाफ संबंधित धराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए उसके आधा दर्जन सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। एसएसपी ने बताया कि गैंग की कारस्तानी खुलने के बाद अब इनकी ठगी का शिकार हुए और लोग भी सामने आएंगे।
पॉवरफुल लोगों को बनाया निशाना
जालसाज कितने बेलगाम थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जिनका प्लॉट बेचा या फिर जिसको प्लॉट बेचा उनमें से कुछ पुलिस व प्रशासनिक स्तर के अधिकारी समेत अन्य रसूखदार लोग भी बताएं जाते हैं। हालांकि राजधानी पुलिस उनका पूरा परिचय बताने से फिलहाल बच रही है।
एसएसपी के अनुसार इन प्लॉटो की भी हुई फर्जी बिक्री
- विपुल खण्ड का प्लॉट (संख्या 4/93) किसी मिट्ठू के नाम से एलडीए की ओर से आवंटित है। पकड़े गए जियालाल ने 2015 में खुद को मिट्ठू की जगह पेश करते हुए प्लॉट को मीनाक्षी सिंह को 80 लाख रुपए में बेच दिया। वर्तमान में मीनाक्षी सिंह प्लॉट पर मकान बनवाकर परिवार के साथ रह भी रही हैं।
- जबकि प्लॉट (संख्या 4/93 ए) स्नेहलता के नाम पर आवंटित है। इसको बेचने के लिए जालसाजों के गैंग ने लक्ष्मी वर्मा को स्नेहलता बताते हुए प्लॉट को शालिनी चित्रांशी को 64 लाख रुपए में बेच दिया। इस प्लॉट पर वर्तमान में शालिनी चित्रांशी भी मकान बनवा कर रह रही है।
- वहीं विपुल खण्ड का ही प्लॉट (संख्या 6/138) मनीष कुमार भट्ट के नाम पर आवंटित था। यहां ठगों ने फरार चल रहे संजय को मनीष बताते हुए पीडि़त ग्राहक से पांच लाख रुपए ऐंठ लिए। इसी दौरान मनीष की मौत हो गई तो उनकी पत्नी स्मिता के नाम प्लॉट हो गया। दोबारा ठगों ने संजय की पत्नी दीपा को स्मिता बताते हुए खरीददार से 79 लाख रुपए और ठग लिए।
एसएसपी ने की ईनाम देने की घोषणा
ठगों के गैंग का पर्दाफाश करने और उनकी गिरफ्तारी करने वाली टीम को एसएसपी ने दस हजार रुपए नकद ईनाम देने की घोषणा की है। एएसपी नार्थ के निर्देश पर गुडवर्क करने वाली टीम में इंस्पेक्टर गोमतीनगर आनन्द प्रकाश शुक्ला, एसएसआई ओंकारनाथ यादव, विपुल खण्ड चौकी इंचार्ज कृष्ण बली सिंह, एसआई सतेंद्र विक्रम सिंह, उमेश सिंह आदि शामिल रहें।
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