आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। बीते शुक्रवार की देर रात लखनऊ विकास प्राधिकरण के रिकॉर्ड रूम में संदिग्ध हाल में लगी आग पर आज कमेटी ने अपनी रिर्पोट दे दी। हालांकि कमेटी की रिपोर्ट के बाद एलडीए की ओर से पेश की गई सफाई में कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिल सके हैं। एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए आज एक नोट जारी कर पूरे मामले पर एलडीए का पक्ष रखा।
एलडीए के दावे-
- नोट के अनुसार अग्निकांड में पांच डिब्बों में रखी कुल 153 फाइलें जली हैं। सभी नष्ट हो चुकी फाइलों का रिकॉर्ड एलडीए के कंप्यूटर में मौजदू है। इसके अलावा कोई अन्य फाइलें नहीं जली है।
- रिकॉर्ड रूम के पास लगे सीसीटीवी कैमरें में कोई भी संदिग्ध व्यक्ति आता-जाता नहीं दिखाई दिया।
- आग लगने का कारण शार्टसर्किट हो सकता है।
- फाइलों की स्कैनिंग का काम पूरा होने तक एलडीए के गोमतीनगर और लालबाग स्थित कार्यालय में फॉयर सेफ्टी से प्रशिक्षित तीन-तीन कर्मचारी रात में भी तैनात रहेंगे। जो फाइलों की सुरक्षा करेंगे।
- 15 दिन के अंदर प्राधिकरण भवन की फॉयर सेफ्टी जांच करा ली जाएगी।
सवाल जिनके जवाब अभी बाकी हैं-
आग लगने के लिए आखिरकार जिम्मेदार कौन है? बार-बार सवाल उठने के बाद भी आग लगने के समय घटनास्थल के पास मौजूद फाइल स्कैन करने वाली राइटर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों की भूमिका की विधिवत जांच क्यों नहीं कराई जा रही है?
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जल चुकी फाइलें एलडीए की किन योजनाओं व अफसर और इंजीनियरों से संबंधित थी? इनमें से कितने मामले विवादित थे और कितनों की जांच चल रही थी? साथ ही फाइलें आवासीय संपत्ति से संबंधित या फिर व्यवसायिक से या फिर दोनों से जुड़ी थी? ये बताने से एलडीए के जिम्मेदार बच रहे हैं। हालांकि एलडीए सचिव जयशंकर दूबे जल चुकी अधिकतर फाइलों को सिर्फ अलीगंज योजना से जुड़ा बता पा रहे हैं। जबकि एलडीए उपाध्यक्ष की ओर से भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।
शॉर्टसर्किट हुई तो पैनल क्यों नहीं जला
जानकार बताते है कि शॉर्टसर्किट होने की स्थिति में संबंधित विद्युत पैनल जल जाता है। शॉर्टसर्किट हो और पैनल न जले यह बात लगभग नामुमकिन है। जबकि घटना की जांच के दौरान पैनल जलने की बात सामने नहीं आई है।
प्राइवेट कंपनी पर शुरू से ही बरसी है अफसरों की मेहरबानी
स्कैनिंग के नाम पर एलडीए की पत्रावलियों को फाड़ने के साथ ही अन्य आरोपों को लेकर राइटर कॉर्पोरेशन विवादों में रही है। इसके बावजूद एलडीए के अफसरों की मेहरबानी इस पर हमेशा से बरसती रही है। यही वजह है कि नजूल और ट्रस्ट की जिन संपत्तियों का एलडीए खुद भी मालिक नही था। उसकी भी कीमती फाइलों को नियम-कानून ताख पर रखकर प्राइवेट कंपनी के हाथों में सौंप दिया गया।
अब भी नहीं सुधरा एलडीए, लावारिस पड़ी हैं फाइलें और रजिस्टर
आग लगने पर हंगामा मचने के बाद भी एलडीए पूरी तरह सुधरने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा है। यहीं वजह है कि जिस रिकॉर्ड रूम में आग लगने से 153 फाइलें जल गई हो उसके ठीक बाहर आज भी आलमारियों में एलडीए के फाइलें और रजिस्टर लावारिस हालत में पड़े हुए हैं। आलमारी में ताला तक नहीं लगाया गया है। जबकि खुली आलमारी में रखी एलडीए की पत्रावलियों पर पड़ी पान की पीक अफसरों की संजीदगी और समझदारी बयान कर रही है। वहीं पर स्थित रिकॉर्ड रूम की केबिन में तैनात एलडीए कर्मचारियों ने बताया कि आलमारियां पिछले कई सालों से लावारिस हालत में हैं।
तीन दिन में देनी थी रिपोर्ट
बताते चलें कि शुक्रवार की देर रात संदिग्ध परिस्थितियों में एलडीए के रिकॉर्ड रूम में आग लगने के बाद एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने अधिशासी अभियंता वीके शर्मा और तहसीलदार राजेश शुक्ल की संयुक्त टीम बनाकर आग लगने का कारण, घटना के लिए जिम्मेदार और रिकॉर्ड रूम में आने वाले का पता लगाने के साथ ही आग से नष्ट हुई फाइलों की डीटेल जुटाने के लिए कहा था। वहीं भविष्य में इस तरह की घटना न हो इसके लिए सुझाव भी देने को कहा था। आज अधिशासी अभियंता और तहसीलदार ने अपनी रिर्पोट उपाध्यक्ष को सौंप दी।
राइटर कॉर्पोरेशन की गतिविधियां प्रारंभ से ही संदिग्ध रही है। इसके बाद भी कंपनी पर लगाम कसने के लिए अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। कंपनी के कर्मचारियों की मौजूदगी में आग लगने पर भी अफसर उनके साथ ही घटना की किसी दूसरी कंपनी जांच नहीं करा रहे हैं। इस तरह से आग लगने की वजह कभी सामने नहीं आ पाएगी और एलडीए के भ्रष्ट अधिकारी और इंजीनियर एक बार फिर विभाग को खोखला करने के बाद बच जाएंगे। शिवप्रताप सिंह, एलडीए कर्मचारी संघ अध्यक्ष