आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस वे पर उतरा दुनिया का सबसे बड़ा C130J हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट

हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट

आरयू ब्‍यूरो,

लखनऊ। आगरा-लखनऊ ताज एक्सप्रेस-वे पर आज एक ऐतिहासिक क्षण के सैकड़ों लोग साक्षी बने। एक्‍सप्रेस वे पर सबसे पहले दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक एयरक्राफ्ट सुपर हरक्यूलिस सी 130 जे के अलावा मिराज-2000, सुखोई-30 जैसे फाइटर प्लेन ने लैंडिंग की। जानकारों की माने तो दुनिया के चुनिंदा देशों में ऐसे हाईवे व एक्सप्रेस-वे हैं जहां विमानों को उतारा जा सकता है। इनमें पाक, जर्मनी, स्वीडन, कोरिया आदि हैं।

वायुसेना के एयर मार्शल एसबी टूरी की अगुवाई में वायु सेना के सैनिकों का अभ्यास चला। इस अवसर पर वायुसेना पीआरओ गार्गी मलिक ने मीडिया को बताया कि वायुसेना के लिए यह ऐतिहासिक क्षण है। सुखोई मिराज और मालवाहक विमान ने धरती पर उतर कर करतब दिखाया। उन्‍होंने आगे कहा कि यह दिन इसलिए भी खास रहा कि भारतीय वायुसेना की 85वीं सालगिरह है, जिसे सेना के अधिकारी बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं।

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भारतीय वायुसेना के विमान ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर टच-एंड-गो लैंडिंग का अभ्यास किया। अभ्‍यास की शुरुआत 35,000 किलोग्राम वजनी सी 130 जे हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट से हुई। विमान से गरुड़ कमांडो ने उतरकर एक्सप्रेस वे की सुरक्षा की कमान संभाली। यह पहला मौका है जब सी-130जे एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल एक्सप्रेस-वे पर एयरफोर्स के स्पेशल ड्रिल के लिए किया गया।

हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट

अभ्‍यास की शुरूआत सुबह मालवाहक विमान सी 130 जे हरक्यूलिस उतारकर हुई। इसके बाद मिराज व सुखाई आदि प्लेनों की लैंडिंग का सिलसिला हुआ। इसके साथ ही 12 बार टच-एंड-गो लैंडिंग का अभ्यास चला। यह रिहर्सल दो बजे तक चली।

आपात स्थिति में किया जा सकेगा इसका इस्‍तेमाल

एक्सप्रेस-वे बनने के दौरान वायुसेना के अनुरोध पर चार किमी का पैच रनवे की तरह ही तकनीकी तौर पर मजबूत बनाया गया था। ताकि देश में इमरजेंसी की स्थिति में रनवे पर विमान उतारा जा सके। यह अभ्‍यास भी इमरजेंसी में तैयार रहने को लेकर किया जा रहा है। देश में इमरजेंसी के हालात पैदा होने पर एक्‍सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमानों को आसानी से उतारा जा सके।

जाने पहले एक्‍सप्रेस वे पर कब उतरे फाइटर प्‍लेन

मालूम हो कि इससे पहले वायुसेना ने मिराज 2000 और सुखोई फाइटर विमानों के साथ यमुना एक्सप्रेस वे पर अभ्यास किया था। पिछले साल भी वायुसेना के 8 लड़ाकू विमानों ने इसी जगह और 2015 में मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेस-वे पर भी वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज 2000 ने टच डाउन किया था। खासतौर पर रनवे इन तरह बनाया गया है कि वह लड़ाकू विमान का दबाव झेल सके। देश में ऐसा प्रयोग पहली बार 2015 में किया गया था,जब वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमान ने किसी राजमार्ग पर टच डाउन किया था।

किसने कहां से भरी उड़ान

वायुसेना के अभ्यास के लिए हिंडन (गाजियाबाद) से मालवाहक, गोरखपुर से जगुआर, ग्वालियर से मिराज और बरेली एयरफोर्स स्टेशन से सुखोई उड़ान भरी। सुबह करीब आठ बजे वायुसेना के कमांडो को लेकर मालवाहक एएन-32एस आए। यह हिंडन एयरफोर्स से उड़ान भरकर कमांडो को उतारकर लौट गया। इसके बाद अन्‍य फाइटर प्लेन हवाई पट्टी छूकर लौट गए। इसके साथ ही एएन-32एस के साथ वायुसेना कमांडो भी लौट गए।