उद्धव ठाकरे ने की राज्यपाल कोश्यारी पर कार्रवाई की मांग, कहा इनके तीन साल के बयान देखिये

उद्धव ठाकरे
प्रेसवार्ता में बोलते उद्धव ठाकरे।

आरयू वेब टीम। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा। शिवसेना सांसद संजय राउत के बाद अब पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी के एक विवादास्पद बयान को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। ठाकरे ने मुंबई में प्रेसवार्ता कर कहा कि वह राज्यपाल पद का अपमान नहीं चाहते हैं, लेकिन जो उस कुर्सी पर बैठा है, उसे भी उसका मान रखना चाहिए।

प्रेसवार्ता में उद्धव ठाकरे ने कहा, ”जय हिंद जय महाराष्ट्र के नारे से आज की पीसी शुरू कर रहा हूं। कब तक उनका मान करेंगे। मैं राज्यपाल पद का अपमान कहीं भी करना नहीं चाहता हूं, लेकिन जो उस कुर्सी पर बैठता है उसे भी उसका मान रखना चाहिए। कोश्यारी के पिछले तीन वर्षों के बयान देखिये। जब मैं सीएम था तब कोविड था, लेकिन इन्हें धार्मिक स्थल शुरू करने की जल्दबाजी थी। महाराष्ट्र में रहकर इस तरह मराठी लोगों का अपमान कर रहें है।

कोल्हापुर का चप्पल उन्होंने नहीं देखा, कोल्हापूर का चप्पल उन्हें दिखाने की जरूरत नहीं है। कौन इस बयान को कैसे लेता है, यह मैं नहीं कह सकता हूं। ये बयान ऐसे ही नहीं आया है। राज्यपाल की पदवी पर बैठे व्यक्ति के ऊपर करवाई होनी चाहिए, ऐसी हमारी मांग है।”

बता दें कि महाराष्ट्र में ही एक कार्यक्रम में राज्यपाल कोश्यारी ने अपने विवादास्पद बयान में कहा था कि अगर राज्य से, खासकर मुंबई और ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानी लोगों को निकाल दिया जाए तो यहां कोई पैसा नहीं बचेगा। इन लोगों के निकलने पर मुंबई देश की आर्थिक राजधानी नहीं रह जाएगी। विवाद गरमाने के बाद राज्यपाल ने अपने बयान पर सफाई भी दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के निर्माण में मराठियों का सबसे ज्यादा योगदान है।

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राज्यपाल कोश्यारी ने कहा, ”कल राजस्थानी समाज के कार्यक्रम में मैंने जो बयान दिया था, उसमें मेरा मराठी आदमी को कम करके आंकने का कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल गुजराती और राजस्थानी मंडलों द्वारा पेशे में किए गए योगदान पर बात की। मराठी लोगों ने मेहनत कर महाराष्ट्र का निर्माण किया, इसीलिए आज कई मराठी उद्यमी प्रसिद्ध हैं। वे न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि भारत में और पूरी दुनिया में मराठी का झंडा बड़े पैमाने पर लगा रहे हैं, इसलिए मराठी लोगों के योगदान को कम करके आंकने का सवाल ही नहीं उठता है।”

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