यूपी के हर नागरिक पर है साढ़े 37 हजार का कर्ज! साल दर साल बढ़ रही इसकी रफ्तार

कर्ज की रफ्तार
प्रतीकात्मक फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश के एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के टार्गेट के दावे के बीच यूपी पर साल दर साल कर्ज बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के चालू वित्त वर्ष में प्रदेश पर नौ लाख करोड़ रुपये के ऋण का अनुमान हैं, हालांकि राजकोषीय घाटे की स्थिति पहले से मजबूत बताई जा रही है। पिछले पांच सालों में यूपी पर छह लाख करोड़ का ऋण अब बढ़कर नौ लाख करोड़ रुपये हो गया है।

इस लिहाज से उत्तर प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति करीब 37,500 रुपये का कर्जदार है, हालांकि राहत की बात ये हैं कि इस ऋण के बावजूद प्रदेश का राजस्व घाटा 2.97 फीसद है जो आरबीआइ की निर्धारित सीमा के अंदर हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश के बजट के आकार में भी बढ़ोतरी हुई है।

यूपी में बीते कुछ सालों में राज्य पर बढ़ते ऋण पर नजर डाली जाए तो वित्त वर्ष 2021-22 में ऋण 6,21,836 करोड़ रुपये था, वित्त वर्ष 2022-23 में 6,71,134 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2023-24 में 7,76,783 करोड़, वित्त वर्ष 2024-25 में 8,46,096 और 2025-26 में बढ़कर 9,03,924 करोड़ रुपये हो गया।

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जानकारों को मुताबिक अगर किसी राज्य का ऋण ज्यादा होता है तो उसका सीधा दबाव विकासशील अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इससे ऋण पर लगने वाला ब्याज का ज्यादा भुगतान होता है, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता हैं। जहां तक प्रदेश की बात है तो राज्य के विकास के लिए इसका संतुलन बनाना जरूरी है।

वित्त विभाग का कहना है कि राज्य के ऊपर उधार का बोझ विकास का संकेतक होता है, क्योंकि जितना ज्यादा खर्च बुनियादी ढांचे के विकास पर होता है राज्य का ऋण भी उसी हिसाब से बढ़ जाता है। जरूरी ये हैं कि खर्च पारदर्शी और प्रबंधन नीति के तहत किया जाए। जरूरी ये हैं कि ऋण का उपयोग किस तरह किया जा रहा है।

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