आरयू वेब टीम। पांच अप्रैल की रात नौ बजे से नौ मिनट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से बत्तियां बंद करने का आह्वान किया है, लेकिन इससे बिजली विभाग के सामने समस्या खड़ी हो सकती है। कई राज्यों ने अपने इंजीनियरों को निर्देश दिया है कि इस दौरान किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें, क्योंकि बिजली की डिमांड में अचानक बड़ी गिरावट और फिर अचानक तेज मांग से उपकरण नष्ट हो सकते हैं, इसका असर ग्रिड पर भी पड़ सकता है। वहीं ऊर्जा मंत्रालय ने इन शंकाओं को भी खारिज किया है कि अचानक बत्तियां गुल होने से ग्रिड फेल हो सकता है।
ऊर्जा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर लोग केवल घरों की बत्तियां बंद रखेंगे, जबकि स्ट्रीट लाइट रोजाना की तरह जलती रहेगी। वहीं ऊर्जा मंत्रालय ने इन शंकाओं को भी खारिज किया है कि अचानक बत्तियां गुल होने से ग्रिड फेल हो सकता है। ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि लोग घरों में अन्य बिजली के उपकरण चालू रखेंगे केवल बत्तियां नौ मिनट के लिए बुझाई जाएंगी इसलिए एक साथ लाइट स्वीच ऑफ होने से ग्रिड फेल होने की आशंका गलत है, जबकि राज्यों के लोड डिस्पैच सेंटर और ट्रांसमिशन कंपनियां किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने की तैयारी कर रही हैं।
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गौरतलब है कि आशंका जताई जा रही है कि डिमांड में अचानक गिरावट आने से बिजली ग्रिड पर प्रभाव पड़ सकता है। बिजली की पीक डिमांड इन दिनों पहले ही कम चल रही है। दो अप्रैल को पिछले साल की तुलना में डिमांड 25 फ़ीसदी कम 125.81 गीगा वाट थी।
वहीं उत्तर प्रदेश के स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने राज्य की वितरण कंपनियों से कहा है कि बिजली की डिमांड में अचानक गिरावट आ सकती है, इसे देखते हुए वे पूरी तैयारी रखें। उन्हें रविवार की शाम आठ से नौ के दौरान अलग-अलग समय पर लोड शैडिंग करने के लिए भी कहा गया है। तमिलनाडु ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने भी अपने ऑपरेशनल एग्जीक्यूटिव्स को इसी तरह के निर्देश दिए हैं और यह भी कहा है कि उस दौरान पर्याप्त संख्या में स्टाफ ड्यूटी पर मौजूद रहे।
इस बीच एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि रविवार को ब्लैकआउट के दौरान बिजली की डिमांड दस गीगावॉट घटकर 12 गीगावॉट रह सकती है। इससे नेशनल पावर ग्रिड पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार ब्लैकआउट नहीं हो रहा है। अर्थ आवर के दौरान पहले भी ऐसा हो चुका है।