आरयू वेब टीम। दुनियाभर में मशहूर शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साहब ने रविवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। 89 साल के गुलाम मुस्तफा ने मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। करीब 15 साल पहले वो ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुए थे, जिसके बाद से वे बीमार चल रहे थे, चलने-फिरने की हालत में नहीं थे और घर में ही उनका इलाज चल रहा था। वहीं गुलाम मुस्तफा की इंतेकाल की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
उस्ताद के बेटे रब्बानी मुस्तफा खान ने उनके इंतेकाल की खबर की पुष्टि करते हुए मीडिया को बताया कि उनका देहांत आज करीब सवा 12 बजे के बीच हुआ है। जिसके बाद उन्हें सांताक्रूज कब्रिस्तान में पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान अपने पीछे चार बेटे, चार बेटियां और पत्नी छोड़ गये हैं।”
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उल्लेखनीय है कि उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान को 1991 में पद्मश्री, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म भूषण पुरस्कारों से नवाजा गया था। संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
सन 1931 में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में जन्मे और रामपुर-सहसवान घराने से ताल्लुक रखने वाले गायक गुलाम मुस्तफा खान ने मृणाल सेन की चर्चित फिल्म ‘भुवन शोम’ से अपने गायकी के करियर की शुरुआत की थी। हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले गुलाम मुस्तफा खान ने ‘उमराव जान’, ‘आगमन’, ‘बस्ती’, ‘श्रीमान आशिक’ जैसी फिल्मों में भी अपनी गायकी का नायाब अंदाज पेश किया था। उन्हें संगीत के क्षेत्र में ‘जूनियर तानसेन’ के नाम से भी बुलाया जाता था।
जानी-मानी गायिका आशा भोसले, गीता दत्त, मन्ना डे, सोनू निगम, हरिहरण, शान जैसे तमाम गायकों के करियर में गुलाम मुस्तफा खान का भी अहम योगदान रहा है। बॉलीवुड के तमाम गायक उन्हें अपना गुरु मानते रहे हैं।