वाराणसी के कब्रिस्‍तान हत्‍याकांड में बाप-बेटे सहित तीन को सजा-ए-मौत, दोषी महिला को उम्रकैद, बेहद निर्ममता से पीटकर चार को उतारा था मौत के घाट

कब्रिस्‍तान हत्‍याकांड
चारों दोषी।

आरयू ब्‍यूरो, वाराणसी। बेनियाबाग कब्रिस्‍तान बहुचर्चित हत्‍याकांड में आज जिला जज की कोर्ट ने बाप-बेटे समेत तीन को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले में दोषी चौथी महिला को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही चारों दोषियों पर कोर्ट ने 75-75 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की आधी धनराशि पीड़ित परिवार को बतौर क्षतिपूर्ति का भी आदेश कोर्ट ने दिया है। यह फैसला आज जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्‍वेश की अदालत ने सुनाया है।

चारों दोषियों ने जून 2012 में मकान के एक विवाद में कब्रिस्‍तान के अंदर ही कब्र में लगने वाले हरे बांस से चार लोगों के सिर पर ताबड़तोड़ वारकर हत्‍या कर दी थी। आज सत्र न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण ने मृत्युदंड का फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियुक्‍त अमजद, रमजान और अरशद के गले में फांसी का फंदा डालकर उन्हें तब तक लटकाया जाएगा, जब तक उनकी मृत्यु हो न जाए।

इसके पहले अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के इस तर्क से सहमत है कि अमजद, रमजान, अरशद ने चार व्यक्तियों की हत्या की और हत्या का अपराध अत्यधिक क्रूरता व बर्बरतापूर्वक किया गया। अभियुक्त शकीला को महिला होने व अपराध में उसकी मुख्य भूमिका न होने के कारण उसे आजीवन कारावास व जुर्माने से दंडित किया गया।

जानकारी के अनुसार चेतगंज क्षेत्र के सरायगोवर्धन निवासी सईद उर्फ काजू ने 16 जून 2012 को चौक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि रात करीब साढ़े आठ बजे वादी, उसके दो भाई मो. शफीक उर्फ राजू और मो. शकील उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी व शालू के साथ बाबा रहीम शाह की मजार से निकल घर लौट रहे थे।

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उसी दौरान कब्रिस्‍तान में ही वहीं के अमजद, इकबाल राइन, अरशद, रमजान व अमजद की पत्‍नी शकीला और उसकी बेटी शबनम आदि ने घेरकर हरे बांस से हमला बोल दिया। चीख-पुकार सुन मजार की सफाई करने वाले कामिल और भतीजा बीच बचाव करने पहुंचे तो हमलावरों ने उन्हें भी घेर लिया और बेरहमी से पीटा।

पिटाई से मौके पर ही वादी के भाई शफीक उर्फ राजू व कामिल की मौत हो गई और अन्य घायलों को वादी व मोहल्ले के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां एक और भाई शकील उर्फ जाऊ को डॉक्‍टरों ने मृत घोषित कर दिया। घटना में गंभीर रूप से घायल भतीजे चांद रहीमी की कुछ दिनों बाद उपचार के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी।

कई टुकड़ों में बंट गयी थी सर से लेकर जबड़े तक की हड्डी, आंख भी फूटी

वहीं सजा बिंदु पर अभियोजन की तरफ से तर्क दिया गया कि चारों अभियुक्तों ने बांस व बांस के डंडों से निर्दयतापूर्वक वार कर चार व्यक्तियों की हत्या की और एक व्यक्ति को गंभीर चोटें पहुंचाई। हमले में मो. सफीक के सिर की चारों हड्डियां और जबड़े की हड्डी टूट गई और दाहिनी आंख को कूंच दिया गया था। मृतक कामिल के सिर की हड्डी टूट गई, मृतक जाऊ के जबड़े की हड्डी और मस्तक फट गया। मृतक चांद की नाक व जबड़े की हड्डी टूट गई थी। तर्क में कहा कि यह प्रकरण विरल से विरलतम की श्रेणी में आता है।

डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ल व वादी के अधिवक्ता अनिल सिंह चुन्नु बाबू के मुताबिक आजादी के बाद यह पहला मामला है, जिसमें चार व्यक्तियों के क्रूर हत्या के मामले तीन दोषियों को एक साथ मृत्युदंड दिया गया है। दोषमुक्‍त हुए इकबाल राईन के खिलाफ उच्च न्यायालय में आपराधिक अपील की जाएगी।

तीन चश्मदीद समेत 13 गवाहों ने फंदे तक पहुंचाया

चेतगंज सराय गोवर्धन निवासी अरशद, अमजद, रमजान और शकीला को सजा दिलाने में दो घायल, तीन चश्मदीद साक्षी समेत 13 गवाहों का बयान महत्वपूर्ण बना।

मृत्युदंड की सजा पाने वालों में चौक थाना अंतर्गत नरकट का तकिया निवासी अमजद व रमजान सगे भाई हैं, जबकि अमजद का पुत्र अरशद है। सजा पर फैसला आते ही सभी बदहवाश हो गए। शकीला जहां खामोश हो गई तो वहीं अजमद ऊपर की तरफ देखते हुए कुछ देर बाद नीचे एक तरफ सिर पर दोनों हाथ धर बैठ गया। विवाद का मूल जड़ एक मकान रहा, जिसे अमजद का भाई इकबाल राइन खरीदना चाहता था, जिसका मृतक परिवार विरोध करता था।