आरयू वेब टीम। महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र जब से शुरू हुआ है, तब से ही एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के विधायक विधानभवन के बाहर सीढ़ियों पर हाथों में बैनर लेकर सीएम एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ ‘ 50 खोके एकदम ओके‘ के नारे लगा रहे हैं। इस पर शिंदे गुट और भाजपा के विधायकों ने भी शिवसेना और एनसीपी से जुड़े सचिन वाजे और लवासा घोटाले जैसे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को मुद्दा बनाया। इस पर एनसीपी के अमोल मिटकरी और शिंदे गुट के महेश शिंदे गुट से आज भिड़ गए।
विधानसभा की सीढ़ियों पर पहले भी विपक्षी नेताओं की ओर से सत्ताधारियों के खिलाफ नारेबाजी की जाती रही है, लेकिन बुधवार सत्ताधारियों द्वारा पिछले दो दिनों से चले आ रही नारेबाजियों और प्रदर्शन के खिलाफ निषेध का कार्यक्रम आयोजित किया गया। शिंदे गुट और भाजपा के विधायकों ने आघाड़ी सरकार के वक्त के भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों को आधार बनाते हुए हाथों में तख्तियां लेकर विधानभवन की सीढ़ियों पर ‘लवासा और वाजे, एकदम ओके’ के नारे लगाने लगे।
जब एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के विपक्षी विधायक पिछले दो दिनों की तरह ही आज भी नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन की प्लानिंग के साथ सीढ़ियों के पास पहुंचे तो उन्होंने सत्ताधारियों को वहां अपने खिलाफ पहले से ही नारेबाजी करते हुए पाया। इसके बाद दोनों ही तरफ से नारेबाजियां और गाली गलौच की शुरुआत हो गई जो बाद में धक्का-मुक्की में बदल गई।
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वहीं मराठी में एक कहावत है, ‘अंगावर याल तर शिंगावर घेणार’ यानी ‘हमारे शरीर को चोट पहुंचाओगे तो हम सींग से उठाकर पटक देंगे ’ यानी, ‘हमसे उलझोगे तो भुगतोगे’। अब एनसीपी के अमोल मिटकरी को शिंदे गुट के नेता यही चेतावनी दे रहे हैं। इस मुद्दे पर शिंदे गुट के विधायक भरत गोगावले ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘महाविकास आघाड़ी के विधायक पिछले कुछ दिनों से विधानभवन की सीढ़ियों पर बैठ कर आंदोलन कर रहे हैं। हमने आज आंदोलन किया। हम 170 हैं, वे 99-सौ हम सब मिलकर आ गए होते तो सोचिए क्या होता। वे हम पर रोज आरोप लगा रहे हैं। हम बगल से चुप-चाप गुजर जा रहे हैं। हम उन्हें जवाब नहीं दे रहे थे। आज हम वहां पहले से ही मौजूद थे। उनका इतिहास बता रहे थे। इसीलिए उनको मिर्ची लग गई। अगर कोई हमारे अंग पर आएगा तो हम उन्हें सींग पर लेंगे।’
एनसीपी विधायकों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ‘अंग पर आने पर सींग पर लेना’ यह उनकी संस्कृति है। हम तो विधानसभा और लोकतंत्र के नियमों और परंपराओं का पालन करने वाले लोग हैं। हमें शरद पवार ने जो संस्कृति सिखाई है, उन्हीं लोकतांत्रिक संस्कृति को अपनाने वाले लोग हैं। हम एनसीपी वाले उनकी तरह के नहीं हैं। अमोल मिटकरी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘ शिंदे गुट के विधायकों ने गालियां दीं, धक्का-मुक्की की, इसलिए विधानभवन की सीढ़ियों के पास हंगामा हुआ। आखिर में हमारे नेता अजित पवार आए और हमें साइड में होने को कहा. इसलिए हम साइड में हो गए।’