देश में बढ़ रही दुर्लभ श्रेणी की जायंट गिलहरी की संख्या, जानें इसकी खासियत

जायंट गिलहरी

आरयू वेब टीम। मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) में पाई जाने वाली भारतीय जायंट गिलहरी की संख्या में वृद्धि हुई है। अपनी लंबी छलांग के कारण क्षेत्र में उड़ने वाली गिलहरी के नाम से प्रसिद्ध जायंट गिलहरी अब तक दुर्लभ की श्रेणी में मानी जाती थी। अब एसटीआर में कई जगहों पर यह नजर आ रही है।

एसटीआर प्रबंधन के अनुसार यहां के अलावा ये कर्नाटक के जंगल में यह पाई जाती है। प्राकृतिक रूप से समृद्ध एसटीआर में गिलहरी को देख पर्यटक भी रोमांचित हो जाते हैं।अधिकारियों के अनुसार एसटीआर के मढ़ई, चूरना, बोरी, पचमढ़ी के जंगल में यह दिखाई दी है। इन जगहों पर प्राकृतिक वातावरण व भोजन जायंट गिलहरी के अनुकूल है। इसी के चलते इनकी संख्या बढ़ रही है।

हाल ही में एसटीआर प्रबंधन ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जायंट गिलहरी को लेकर पोस्ट भी की, जिसे काफी सराहा गया है। भारतीय जायंट गिलहरी एसटीआर की पहचान भी है। प्रबंधन ने कुछ साल पहले ही अपने विभागीय लोगो में इसके चित्र का उपयोग किया था। ‘नन्हीं’ के नाम से इस गिलहरी का फोटो विभाग के कैप, जैकेट से लेकर अन्य कई जगहों पर उपयोग किया जाता है।

यह भी पढ़ें- लखनऊ जू में नागालैंड से आए तीन मेहमान क्वारंटाइन से निकले बाहर, दर्शकों में दिखा उत्साह

वहीं प्रबंधन के मुताबिक एसटीआर के जंगल में बाघों के संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास किए गए। बाघों की संख्या बढ़ी है तो उनके इलाके में ही जायंट गिलहरियों का काफी संख्या में दिखना अच्छा संकेत है। एसटीआर के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति के अनुसार कई बार पर्यटकों को यह गिलहरी नजर आ चुकी है।

यह भी पढ़ें- कल दिखेगा आसमान में अदभुत नजारा, एक लाइन में होंगे छह ग्रह