यादव सिंह की राह पर एलडीए के इंजीनियर, एक ही साइकिल ट्रैक का दो बार किया पेमेंट

साइकिल ट्रैक
इसी साइकिल ट्रैक में सामने आया एलडीए का खेल। फोटो- आरयू

आरयू एक्‍सक्‍लूसिव, 

लखनऊ। विधानसभा चुनाव में एक ओर मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के विरोधी काली कमाई के कुबेरे कहे जाने वाले यादव सिंह के घोटालों को लेकर उन्‍हें घेर रहे है, दूसरी तरफ एलडीए के इंजीनियरों द्वारा यादव सिंह की स्‍टाइल में सीएम के ही ड्रीम प्रॉजेक्‍ट में घोटाला करने का मामला सामने आया है।

गोमतीनगर के सीएमएस तिराहे से हुसडि़या चौराहे के बीच बन रहे लगभग ढाई किलोमीटर लंबे साइकिल ट्रैक के लिए इंजीनियरों ने एक नहीं दो बार टेंडर कराकर चार करोड़ रुपए से ज्‍यादा का पेमेंट कर दिया है।

बोलार्ड और कर्ब स्‍टोन लगाने के नाम पर हुआ खेल

रेकॉर्ड के अनुसार एलडीए ने करीब दो करोड़ 59 लाख की लागत से ढाई किलोमीटर लंबे ट्रैक को 17 सितंबर 2015 से बनवाना शुरू किया था। निर्माण एजेंसी को ट्रैक छह महीने में पूरा करना था।

समय सीमा समाप्‍त होने पर ट्रैक तो नहीं बन पाया, लेकिन सीएम के ड्रीम प्रोजेक्‍ट के प्रति लापरवाह इंजीनियरों की टोली ने करीब एक करोड़ 44 लाख का टेंडर उसी ट्रैक के किनारे बोलार्ड और कर्ब स्‍टोन लगाने के नाम पर अपने चहेते ठेकेदार को दोबारा दे दिया।

जनवरी में हो चुका था काम, मार्च में किया टेंडर

युवा मुख्‍यमंत्री के चाबुक से बेखौफ इंजीनियरों ने इस मामले में गजब का साहस दिखाया है। जिस बोलार्ड और कर्ब स्‍टोन लगाने का टेंडर उन्‍होंने फरवरी-मार्च 2016 में किया वह काम दिसंबर 2015 में ही लगभग पूरा हो चुका था। इतना ही नहीं दिसंबर और जनवरी में उसकी तस्‍वीरें भी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी।

पीडब्‍लूडी से कई गुना ज्‍यादा आई लागत

पीडब्‍लूडी के आंकड़ों के अनुसार उसने शहीद पथ से बिजली पासी किला चौराहे तक चार किलोमीटर लंबे साइकिल ट्रैक बनाने पर एक करोड़ 44 लाख खर्च किए है। वहीं एलडीए करीब ढाई किलोमीटर लंबे ट्रैक पर चार करोड़ से ज्‍यादा का धन लुटा रहा है।

नगर निगम के विरोध के बाद भी नहीं माना था एलडीए

मानकों को ताख पर रखकर बनाए गए इस साइकिल ट्रैक का विरोध नगर निगम ने किया था। नगर अभियंता ने 11 दिसंबर 2015 को चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा को लेटर भेजकर नाले पर साइकिल ट्रैक नहीं बनाने की बात कही थी। पत्र में साफ तौर पर लिखा था कि जन हित और कार्य हित को ध्‍यान में रखते हुए जर्जर नालों पर साइकिल ट्रैक न बनवाया जाए।

इस स‍ंबंध में मीडिया में खबरें भी आई थी, लेकिन अपने स्‍वार्थ के चलते एलडीए ने हमेशा की तरह सारे विरोधों को अनसुना कर निर्माण कार्य जारी रखा। हालांकि ट्रैक करीब 17 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक पूरा नहीं हुआ,  जबकि बोलार्ड और कर्ब स्‍टोन लगाने का काम चार महीने में ही करामाती इंजीनियरो ने कागजों में पूरा दिखा दिया। जांच होने पर इस पूरे मामले में एलडीए के बड़े अधिकारियों के भी नाम सामने आने से इंकार नहीं किया जा सकता।

इंजीनियर एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा

मामला खुलने के बाद अब चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा से लेकर योजना का काम देख रहे एक्‍सईएन रोहित खन्‍ना व एई दिवाकर त्रिपाठी तक इसके लिए एक दूसरे को जिम्‍मेदार बता रहे है। अधीक्षण अभियंता डीसी श्रीवास्‍तव का तर्क है कि कभी-कभी कुछ आइटम छूट जाने के बाद दोबारा टेंडर कराया जाता है। काम होने के बाद के सवाल पर वह भी चुप्‍पी साध गए। वहीं दूसरी तरफ एलडीए के वीसी सत्‍येंद्र सिंह यादव ने दावा किया है कि मामले की जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एक नजर महाभ्रष्‍ट यादव सिंह पर

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के साथ ही यमुना एक्‍सप्रेस वे का निलंबित चीफ इंजीनियर है यादव सिंह। करीब एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपित यादव सिंह को सीबीआई की टीम ने पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया था। उसके बाद से वह डासना जेल में बंद है, जबकि उसकी पत्‍नी कुसुमलता फरार है। सीबीआई की जांच में सामने आया था कि यादव सिंह भूमिगत केबिल डालने समेत अन्‍य मामलों में अधिकांश काम हो जाने के बाद ही मनमाने ढंग से टेंडर पास करता था।


इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। सरकार को बदनाम कराने वाले इंजीनियरों व अधिकारियों के खिलाफ चुनाव बाद कड़ी कार्रवाई होगी। राजेंद्र चौधरी, मुख्‍य प्रवक्‍ता सपा


एलडीए सिर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। साइकिल ट्रैक बनाने में कही भी तकनीकी विशेषज्ञों की राय नहीं ली गई। अधिकारियों ने कमीशनखोरी में इसके ठेकों को रेवडि़यों की तरह बांट दिया। मुख्‍यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्‍ट होने के बाद भी इस तरह की गड़बडि़यों की उच्‍च स्‍तरीय जांच कराई जानी चाहिए। वैभव महेश्‍वरी, प्रदेश प्रवक्‍ता, आप