जमानत मिलने के एक महीने बाद जेल से रिहा हुए पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने कहा, “मुझ पर लगे झूठे आरोप”

सिद्दीकी कप्पन
मीडिया से बात करते सिद्दीकी कप्पन।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। केरल के मल्लपुरम जिले के रहने वाले 43 साल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन करीब ढाई साल के बाद गुरुवार को लखनऊ जेल से रिहा हो गए हैं। दो मामलों में जमानत मिलने के एक महीने से अधिक समय बाद लखनऊ की एक विशेष अदालत ने आज उनकी रिहाई के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

कप्पन के वकील ने कहा कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं, लेकिन रिहाई का आदेश समय पर जेल नहीं पहुंचा, इसलिए वो आज जेल से बाहर आए। वहीं जेल से बाहर आए सिद्दीकी कप्पन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं। मुझे सपोर्ट करने के लिए मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए। मैं अब बाहर आकर खुश हूं।

पहले सिद्दीकी कप्पन की रिहाई बुधवार को होनी थी, लेकिन विशेष अदालत के न्यायाधीश बार काउंसिल के चुनाव में व्यस्त थे। उल्लेखनीय है कि सिद्दीकी कप्पन को अक्टूबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था। वे हाथरस कथित सामूहिक बलात्कार और अनुसूचित जाति की 20 वर्षीय लड़की की मौत की रिपोर्टिंग करने के लिए जा रहे थे।

पुलिस ने सिद्दीकी कप्पन पर आरोप लगाया कि वो वहां पर अशांति फैलाने के लिए जा रहे थे। यूपी पुलिस ने सिद्दीकी कप्पन पर देशद्रोह और कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोप लगाया। फरवरी 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ प्रतिबंधित पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) से धन प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया।

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वहीं पिछले साल सितंबर में उन्हें आतंकी मामले में और दिसंबर में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिल गई थी। हैरानी की बात है सिद्दीकी कप्पन को जमानत देने में फिर भी काफी समय लग गया। पुलिस ने दावा किया कि सिद्दीकी कप्पन और उसके साथ गिरफ्तार किए गए अन्य लोग प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य हैं, हालांकि कप्पन ने आतंकी गतिविधियों या वित्तपोषण में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह पत्रकारिता के काम से हाथरस जा रहे हैं।

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