आरयू ब्यूरो,
लखनऊ/सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पड़ोसी जिले सुल्तानपुर में बेखौफ बदमाशों ने दिल दहलाने वाली एक घटना को अंजाम दिया है। यहां 50 लाख की फिरौती के लिए आठ साल के दिव्यांश व छह वर्षीय उसके छोटे भाई श्रेयांश का दरिंदों ने अपहरण करने के बाद बीती रात श्रेयांश पर फावड़े से वारकर उसकी जान ले ली, जबकि दिव्यांश को बेेहद गंभीर रूप से घायल कर दिया।
घायल का इलाज लखनऊ के केजीएमयू में चल रहा है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी है। घटना की जानकारी लगने पर शुक्रवार की दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चिकित्सा मंत्री आशुतोष टंडन के साथ मासूम का हाल जानने केजीएमयू पहुंचें।
पांच लाख रुपए कि आर्थिक सहायता की घोषणा
सीएम ने केजीएमयू के वीसी से दिव्यांश का हाल जानने के साथ ही बेहतर इलाज मुहैया कराने का निर्देश दिया। वहीं योगी ने श्रेयांश के परिजनों को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने पुलिस के आलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घटना में दोषी अपराधियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
महिला ने खोली योगी के सामने केजीएमयू प्रशासन की पोल
वहीं इस दौरान एक महिला ने योगी के सामने सबकुछ अच्छा दिखाने की भरसक कोशिश करने वाले केजीएमयू प्रशासन की पोल खोल दी। योगी के वापस लौटते समय अयोध्या निवासी सोनी तिवारी तेज आवाज में गुहार लगाते हुए उनसे बोली कि दो दिन से उसका भाई राजनारायण यहां भर्ती है, लेकिन उसका सही से इलाज करने की जगह डॉक्टर बाहर से दवा लाने के कह रहे हैं, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं। इलाज के आभाव में उसकी ऊंगलियां काली पड़ती जा रही है, जिसे भी डॉक्टर काटने की बात कह रहे है। बदहवास महिला की फरियाद के बाद योगी ने वहां मौजूद वीसी प्रो. एमएलबी भट्ट से कहा कि महिला के भाई को समुचित उपचार दिलाया जाए।
दूसरी ओर इस बारे में केजीएमयू से सीएमएस प्रो. एसएन संखवार ने बताया कि महिला के भाई का इलाज सही से चल रहा है, उसकी ऊगलियां काली पड़ती देख महिला को लगा था कि पैर काटना पड़ जाएगा इस वजह से वो घबरा गयी थी।
येे था मामला-
बताया जा रहा है कि गोसाईगंज थाना क्षेत्र के कटका खानपुर निवासी राकेश कुमार अग्रहरि फूलों से सजावट करने का कारोबार करते हैं। उनका बेटा दिव्यांश व श्रेयांश द्वारिकागंज पुलिस चौकी के पास स्थित सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ते थे। रोज की तरह गुरुवार की सुबह भी वो बेटों को स्कूल छोड़कर आए थे।
दोपहर में छुट्टी के बाद राकेश ने घर के नौकर विनोद कुमार को बच्चों को लेने भेजा, लेकिन तब तक दोनों भाईयों का अपहरण हो चुका था। इधर राकेश के मोबाइल पर बदमाशों ने कॉल कर 50 लाख रुपए बतौर फिरौती की मांग कर दी। जिसके बाद वो सहम गएं।
साथियों के साथ मिलकर कराया था अपहरण
राकेश ने घटना की जानकारी पुलिस को दी, पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए मासूमों की तलाश शुरू कर दी। इसी बीच पुलिस को राकेश की दुकान पर काम करने वाले रघुवर यादव पर संदेह हो गया। पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ और रघुवर के मोबाइल नंबर की जांच की तो पुख्ता हो गया कि घटना में उसकी भी संलिप्ता है।
जिसके बाद पुलिस की सख्ती के आगे टूटे रघुवर ने बताया कि उसने अपने दोस्त शिव पूजन, हरिओम और सूरज के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची थी। उसकी निशानदेही पर पुलिस गुरुवार की रात करीब एक बजे कोतवाली नगर क्षेत्र के करौंदिया मोहल्ले में स्थित एक मकान में पहुंची।
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जहां से पुलिस ने श्रेयांश का शव व एक बोरे में गंभीर अवस्था में बंद दिव्यांश को बरामद करने के साथ ही घटना में शामिल दो अन्य आरोपित हरिओम और सूरज को भी धर दबोचा, जबकि चौथा बदमाश मौके से फरार था। पुलिस ने आनन-फानन में दिव्यांश को अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे भोर में केजीएमयू के लिए रेफर कर दिया।
दूसरी ओर रात में ही कड़ाई से पूछताछ में सूरज ने पुलिस को बताया कि घटना में शामिल शिव पूजन दोनों भाईयों का बैग ठिकाने लगाने के लिए बाइक से निकला है। जिसके बाद एसपी सुल्तानपुर के निर्देश पर फास्ट हुई पुलिस ने भोर में ही जगह-जगह घेराबंदी कर दी।
मुठभेड़ में एक बदमाश को पुलिस ने मारी गोली
सुबह करीब पांच बजे देहात कोतवाली क्षेत्र के हनुमानगंज मोड़ के पास बच्चों का बैग लेकर बाइक से भाग रहे शिव पूजन को पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो उसने पुलिस पर ही गोली चला दी, जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली शिव पूजन के पैर में जा लगी और फिर पुलिस ने उसे काबू में करते हुए अस्पताल पहुंचाया। जहां उपचार के साथ ही उससे भी घटना के संबंध में पुलिस ने पूछताछ की।
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वहीं आज दोपहर पुलिस ने राकेश के साथ विश्वासघात करने वाले नौकर रघुवर यादव व उसके साथी हरिओम व सूरज को कोर्ट में पेश किया। तभी मासूमों के साथ दरिंदगी दिखाने वाले तीनों आरोपितों पर वकीलों का गुस्सा फूट पड़ा। न्यायालय परिसर में ही अधिवक्ताओं ने तीनों की जमकर पिटाई कर दी। बाद में किसी तरह से पुलिस ने तीनों की जान बचाकर उन्हें जेल पहुंचाया।