आरयू ब्यूरो,लखनऊ। 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों का विरोध थमने का नाम नहीं,ले रहा हो। इसी क्रम में बुधवार को डिप्टी सीएम केशव मौर्या के सरकारी आवास पर 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। अभ्यर्थी सड़क पर ही लेट गए। अभ्यर्थियों ने भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की। हंगामा होता देख मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने तुरंत प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को घसीटकर वहां से हटाया, तो कईयों को लाठी फटकार भगाया।
लखनऊ की सड़कों पर और इको गार्डन में प्रदर्शन कर रहे ओबीसी- एससी अभ्यार्थियों का आरोप है कि, 69 हजार शिक्षक भर्ती में 5844 सीटों के आरक्षण में धांधली की गई है। जिसकी शिकायत यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर केंद्रीय ओबीसी आयोग तक की गई। सभी के द्वारा आश्वासन दिया जा रहा है। अभी तक हमारे मामले में सुनवाई नहीं की गई। विभाग रोज आश्वासन देने का काम करता है।
एक अभ्यर्थी ने बताया कि सरकार ने हम लोगों के साथ धांधली करके हमारे आरक्षण की सीटों को अन्य अभ्यर्थियों को दे दिया। इस मामले में हम लोग हाईकोर्ट भी गए। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी विभाग हम लोगों की सीट का जजमेंट नहीं कर रहा है। बता दें कि भर्ती में घोटाले का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश की राजधानी में कई दिनों से अलग-अलग स्थानों पर धरना दे रहे हैं।
ये है पूरा मामला?
शिकायतकर्ता ने यूपी में 69,000 शिक्षकों के चयन में, आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने बताया है कि सरकार ने 2018 में 69,000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की अधिसूचना के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था। जिसमें राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए ‘उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर सर्विस रूल, 1981’ के अनुसार, आरक्षण को राज्य में लागू कानूनों और प्रावधानों के अनुसार चयन प्रक्रिया पर लागू किया जाना था।
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इसके बाद भर्ती परीक्षा छह जनवरी 2019 को आयोजित की जानी सुनिश्चित की गई थी, एक मई 2020 को अंतिम चयन जारी की गई।शिकायतकर्ताओं के अनुसार अंतिम चयन सूची जो एक मई 2020 को प्रकाशित की गई है उसमें आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवंटित सीटें, अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गईं। आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया गया था, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने आयोग से संपर्क किया। इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने जांच की, जिसमें आयोग को अनियमितताएं मिलीं, इसे लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूपी सरकार को 29 मई 2021 को 15 दिन में जवाब देने को कहा था, लेकिन अभी तक सरकार ने जवाब नहीं दिया है।