आरयू वेब टीम। एनसीपी अध्यक्ष व चाचा शरद पवार से बगावत कर बागी हुए अजित पवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बनते ही इसका फायदा मिलना शुरू हो गया है। अजित पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले बंद कर दिए गए हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार के खिलाफ दर्ज 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में नौ केस बंद कर दिए हैं। हालांकि सिंचाई घोटाले में अभी भी 11 केस दर्ज हैं।
महाराष्ट्र में करीब 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में अजित पवार आरापित थे। उप मुख्यमंत्री बनने के 48 घंटों के भीतर ही अजित पवार से जुड़े मामले बंद हुए हैं। वहीं ये खबर सामने आते ही सोशल मीडिया से लेकर लोगों के बीच एक ही चर्चा ने जोर पकड़ लिया कि अजित पवार को भाजपा के साथ जाने का ईनाम मिल गया है।
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हालांकि महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक परमबीर सिंह ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा है कि सिंचाई घोटाले में सेामवार को जितने भी मामले बंद हुए हैं, उनमें से कोई भी महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार से संबंधित नहीं हैं।
गौरतलब है कि शनिवार तड़के जब अचानक अजित पवार ने पार्टी से बगावत करके बीजेपी से हाथ मिला लिया था तो राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही थी आखिर उन्होंने यह फैसला क्यों लिया।
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दरअसल, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन में सरकार बनाने की हो रही कोशिश में भी अजित को ही उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की बातें हो रही थी। ऐसे में उनका बीजेपी के साथ जाना सभी को हैरान कर रहा था। अब जब बीजेपी के साथ जाने के साथ ही जिस तरह से उनके खिलाफ दर्ज मुकदमें बंद हो रहे हैं, उससे तस्वीर साफ हो रही है कि आखिर उन्होंने इतना बड़ा राजनीतिक फैसला क्यों लिया था।
वहीं एनसीपी अपने बागी नेता व महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को वापस पार्टी में लाने के लिए सभी प्रयास कर रही है। अजित पवार को आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मंत्रालय में अपना कार्यभार संभालना था, हालांकि वो जा नहीं सके। दूसरी ओर देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कार्यभार संभाल लिया।
एनसपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी द्वारा यह अंतिम प्रयास है और इसके बाद इसे अजित पवार के विवेक और निर्णय पर छोड़ दिया जाएगा। रविवार को एनसपी के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटिल सहित कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अजित पवार से दो बार मुलाकात की थी।