आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अवैध निर्माण को संरक्षण देने के लिए बदनाम एलडीए के इंजीनियर व जोनल अफसर का एक नया कारनामा मंगलवार को उस समय सामने आया जब इस कॉकस से परेशान एलडीए उपाध्यक्ष को खुद ही एक अवैध निर्माण को सील कराने जाना पड़ा। प्रवर्तन जोन सात के चौक कोतवाली के पीछे दस हजार वर्ग फुट में बनें अवैध कांप्लेक्स को सील करने का आदेश करीब तीन साल पहले ही तत्कालीन विहित प्राधिकारी ने दिया था, लेकिन उपाध्यक्ष की तमाम बैठकों के निर्देश व चेतावनी के बाद भी आज से पहले तक इंजीनियर व जोनल अफसर की मेहरबानी अवैध निर्माण पर जारी थी।
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पुराने लखनऊ के घनी आबादी में बनें बहुमंजिला अवैध कांप्लेक्स को सील कराने के साथ ही अब वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने अपने विभाग में छिपे इसे अवैध निर्माण के संरक्षणदाताओं पर भी कार्रवाई करने का मीडिया के सामने दावा किया है। सीलिंग के दौरान वीसी व एलडीए इंजीनियरों की टीम के अलावा जेसीपी पीयूष मोर्डिया समेत पुलिस के अन्य अफसर व स्थानीय चौक पुलिस मौजूद रही।
यह है मामला-
चौक कोतवाली के पीछे मोहसिन नवाब व आसिफ नवाब ने साल 2019 में बेसमेंट समेत दस हजार वर्ग फुट में अवैध कांप्लेक्स बनवाना शुरू किया था। अवैध निर्माण पर तेजी से कार्रवाई करने के लिए पहचानी जाने वाली तत्कालीन विहित प्राधिकारी ऋतु सुहास ने सुनवाई पूरी कर करीब तीन साल पहले ही फरवरी 2020 में अवैध कांप्लेक्स सील करने का आदेश जारी कर दिया था।
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आदेश के कुछ समय बाद ऋतु सुहास का कार्यक्षेत्र बदलने पर कार्रवाई करने की जगह इंजीनियरों ने सीलिंग के आदेश को दबा दिया। लगभग तीन साल से कागजों में सील इस कांप्लेक्स में लगातार इंजीनियरों के संरक्षण में अवैध निर्माण चलता रहा और इस दौरान न सिर्फ 90 दुकानों की फीनिशिंग हो गयीं, बल्कि उनमें से अधिकतर एक से डेढ़ करोड़ रुपये में बिक भी गयीं। इस बीच कई इंजीनियर व जोनल अफसर बदल गए, लेकिन अवैध निर्माण सील नहीं किया गया।
जुलाई में गिराने का हुआ था आदेश
हालांकि पूर्व में जोन सात के जोनल अफसर रहे अरविंद त्रिपाठी ने जरूर कुछ गंभीरता दिखाते हुए बीती जुलाई में इस अवैध कांप्लेक्स के ध्वस्तीकरण का आदेश पारित कर दिया था, लेकिन यह आदेश भी कागजों से बाहर निकलता इससे पहले उनका क्षेत्र बदल गया और एक बार फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
उपाध्यक्ष ने खुद अवैध कांप्लेक्स को सील कराने की ठानी
इस दौरान घनी आबादी में बनें इस विशालकाय अवैध कांप्लेक्स की कई शिकायत एलडीए वीसी तक पहुंची। उपाध्यक्ष ने इस मामले में विशेष गंभीरता दिखाते हुए अवैध कांप्लेक्स को खुद ही सील कराने की ठानी और आज इंजीनियरों की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर कार्रवाई को पूरा भी कराया। जानकारों की मानें तो संभवता यह पहला मौका है जब प्रवर्तन में ढेरों इंजीनियर, अधिकारी व कर्मचारियों की फौज तैनात होने के बाद भी किसी अवैध निर्माण को मात्र सील कराने के लिए एलडीए के मुखिया को मौके पर जाना पड़ा है।
छुट्टी पर थे जोनल अफसर, प्रभारी को भी नहीं चला पता
अवैध कांप्लेक्स पर हुई एलडीए की इस कार्रवाई को लेकर आज पुराने लखनऊ से लेकर एलडीए व सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चा रही। कुछ लोग इस कार्रवाई के पीछे एक बड़े आभूषण व्यपारी की शिकायत से जोड़कर भी देख रहे थे। दूसरी ओर जहां जोन सात के जोनल अधिकारी डीके सिंह आज छुट्टी पर थे वहीं उनके लिंक अफसर व प्रभारी जोन सात राजीव कुमार न तो सीलिंग कराने मौके पर पहुंचे और न ही इस बारे में कोई जानकारी दे सके। राजीव कुमार के अनुसार उन्हें इस बारे में कोई निर्देश नहीं मिले थे।
वीसी ने बताया, उन्हें क्यों पड़ा आना, दोषी होंगे चिन्हित
एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि अवैध कांप्लेक्स को सील किया गया है। इसमें 90 दुकानें थीं। इसका सीलिंग आदेश पूर्व में पारित किया गया था, जिसका उल्लंघन करके दुकानें बनाईं गयीं थीं। जुलाई में कांप्लेक्स के ध्वस्तीकरण का भी आदेश जारी किया गया था, लेकिन उसके बाद भी निर्माण कार्य जारी था। दुकानें खोलने की स्थिति में थीं इसकी गंभीर शिकायत मिली थीं कि प्राधिकरण के लोग भी इसमें शामिल हैं। इसलिए मुझे आना पड़ा, सीलिंग की कार्रवाई कराई गयी है। हमारी तरफ से निर्माण को रोकने के संबंध में प्रभावी कार्यवाही न करने वाले जिम्मेदारों को चिन्हित करके उन पर भी कार्यवाही की जाएगी।