आरयू वेब टीम। मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर सजा पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अब राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील लंबित रहने तक सजा पर रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी को मैक्सिम दो साल की सजा दी गई। निचली अदालत ने ये कारण नहीं दिए कि क्यों पूरे दो साल की सजा दी गई। हाई कोर्ट ने भी इस पर पूरी तरह विचार नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणी गुड टेस्ट में नहीं थी। पब्लिक लाइफ में इस पर सतर्क रहना चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को दिलचस्प बताया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि हाई कोर्ट का फैसला बेहद दिलचस्प है। इस फैसले में ये बताया गया है कि आखिर एक सांसद को कैसे बर्ताव करना चाहिए। कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए, जबकि दूसरे पक्ष की तरफ से महेश जेठमलानी ने अपनी दलील रखी।
संसदीय क्षेत्र को प्रभावित कर रही
राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि कितना समय लेंगे। हमने पूरा केस पढ़ा है हम 15-15 मिनट की बहस कर सकते हैं।
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जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आपको सजा पर रोक चाहिए तो असाधारण मामला बनाना होगा। वहीं इसपर किसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व न होना क्या सजा पर रोक का कोई आधार नहीं है? कोर्ट ने कहा कि ये सजा सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रभावित कर रही है।
सजा देते हैं तो आप कुछ तर्क देते…
अगर कोई संसदीय क्षेत्र किसी सांसद को चुनता है तो क्या वो क्षेत्र बिना उसके सांसद को उपस्थिति का रहना ठीक है? जब इस तरह के मामले में अधिकतम सजा दो साल दी गई है? जस्टिस गवई ने कहा कि क्या यह एक प्रासंगिक कारक नहीं है कि जो निर्वाचन क्षेत्र किसी व्यक्ति को चुनता है वह गैर-प्रतिनिधित्व वाला हो जाएगा? ट्रायल जज ने अधिकतम दो साल की सजा दी है। जब आप अधिकतम सजा देते हैं तो आप कुछ तर्क देते हैं कि अधिकतम सजा क्यों दी जानी चाहिए।
हाई कोर्ट के फैसले को पढ़ना बहुत दिलचस्प
कोर्ट ने कहा कि आप न केवल एक व्यक्ति के अधिकार का बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र के अधिकार को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवल वह सांसद हैं, यह सजा निलंबित करने का आधार नहीं हो सकता, लेकिन क्या उन्होंने दूसरे हिस्से को भी छुआ है? जज ने आगे कहा कि हाई कोर्ट के फैसले को पढ़ना बहुत दिलचस्प है। इस फैसले में बताया गया है कि एक सांसद को कैसे बर्ताव करना चाहिए।
जस्टिस गवई ने कहा कि कितने राजनेताओं को याद रहता होगा कि वो क्या भाषण देते हैं। वो लोग एक दिन में दस से 15 सभाओं को संबोधित करते हैं। जेठमलानी ने जवाब दिया कि वो मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ सबूत हैं।