आरयू वेब टीम। बिलकीस बानो केस में दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की मंशा पर बड़े सवाल उठाए हैं। शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा कि दोषियों को मौत की सजा के बाद वाली सजा यानी उम्रकैद क्यों मिली? वो 14 साल की सजा काटकर कैसे रिहा हुए?
कोर्ट ने पूछा कि 14 साल की सजा के बाद रिहाई की राहत बाकी कैदियों को क्यों नहीं दी गई सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से बिलकीस बानो केस में सवाल किया, “इस मामले में खासतौर पर इन दोषियों को पॉलिसी का लाभ क्यों दिया गया? जेलें कैदियों से भरी पड़ी हैं, तो उन्हें सुधार का मौका क्यों नहीं मिला? बिलकीस के दोषियों के लिए जेल एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी? ” अदालत ने एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा है। अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा कि जब गोधरा की कोर्ट ने ट्रायल नहीं किया, तो उससे राय क्यों मांगी गई?
बिलकीस बानो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 24 अगस्त को होगी। 15 अगस्त को रिहा हुए थे बिलकीस बानो के दोषी 2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकीस बानो से रेप किया गया था। उनके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। पिछले साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया।
बिलकीस बानो ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर की थी याचिका इसके बाद बिलकीस बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।
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बिलकीस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थींय पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकीस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?