आरयू ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को एक बार फिर योगी सरकार पर निशाना साधा है। साथ ही तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की जीत को इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के गलत इस्तेमालग की जीत करार देते हुए दावा किया कि यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके करिश्मा की जीत नहीं है।
सपा नेता ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत को ईवीएम के दुरुपयोग की जीत करार देते हुए आज कहा है कि यह जीत प्रधानमंत्री मोदी और उनके करिश्मा की जीत नहीं है। मैं दावे के साथ कहता हूं कि भाजपा ईवीएम का दुरुपयोग कर चुनाव जीत रही। यह जीत मोदी, उनके करिश्मे की नहीं, बल्कि ईवीएम के दुरुपयोग की जीत है।”
उन्होंने यह भी दावा करते हुए कहा कि ईवीएम का दुरुपयोग नहीं हुआ होता तो 2022 के विधानसभा चुनाव में ही उत्तर प्रदेश से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया होता।
लोकतंत्र बचाओ, ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर लाओ
सपा नेता ने मंच से कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि मोदी जी जीत रहे हैं, मैं कहता हूं मोदी जी नहीं जीत रहे हैं, यह ईवीएम का तिकड़म जीत रहा है। क्योंकि 2022 उत्तर प्रदेश का असेंबली चुनाव हुआ तो 403 विधानसभा सीट में 309 सीटों पर बैलेट पेपर वोटिंग में समाजवादी पार्टी आगे थी और भाजपा मात्र 94 सीटों पर ही आगे रही, तो ईवीएम मशीन में बीजेपी आगे कैसे हो गई? इसका मतलब है कि ईवीएम में कहीं न कहीं कोई खेल है। अभी जिन प्रदेशों में चुनाव हुआ राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बैलेट पेपर वोटिंग में दो तिहाई सीटों पर कांग्रेस आगे थी तो ईवीएम की गिनती में भाजपा आगे कैसे हो गई? इसका मतलब है कि यह जीत ईवीएम के तिकड़म की जीत है। इसीलिए अब आवश्यकता है लोकतंत्र बचाओ, ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर लाओ।
ढोल पीटने वाले नहीं समझते सनातन शब्द का अर्थ
आगे कहा कि सनातन धर्म का ढोल पीटने वाले लोग सनातन शब्द का अर्थ ही नहीं समझते, ऐसे लोग सनातन विरोधी हैं, जबकि हम उनसे बड़े सनातनी हैं। सपा नेता ने रविवार को जिले के रसड़ा क्षेत्र में बौद्ध सम्मेलन कार्यक्रम से इतर मीडिया से बातचीत करते हुए स्वयं को बड़ा सनातनी बताया।
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बौद्ध धर्म का सनातन लेकर बनते हैं बड़े सनातनी
सनातन से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्वामी प्रसाद ने कहा सनातन धर्म का ढोल पीटने वाले लोग सनातन शब्द का अर्थ ही नहीं समझते। सनातन धर्म भगवान बुद्ध के मुंह से निकला हुआ शब्द है। अपने शिष्यों को संदेश देते हुए अंत में वह कहते थे कि जो मैं कह रहा हूं, वही सनातन धर्म है।” उन्होंने सनातन को मानने वालों को निशाने लेकर कहा, “ये तो नकल करते हैं। वे बौद्ध धर्म का सनातन लेकर बड़े सनातनी बनते हैं। इनके सनातन में और सच के सनातन में बहुत अंतर है। सच का सनातन जो आदि काल में था आज भी है एवं वह आगे भी रहेगा।”
वैश्य और शूद्र में भेदभाव नहीं करता
चीजों को स्पष्ट करते हुए मौर्य ने कहा “जैसे सूर्य सबको प्रकाश देता है। सूर्य अपना प्रकाश देने में हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई का भेदभाव नहीं करता। वह ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में भेदभाव नहीं करता। इसी प्रकार हवा, पानी, अग्नि सबको समान रूप से अपना शक्ति प्रदान करती हैं। यह सनातन है।” “यह सनातन है कि बच्चा मां की पेट से पैदा होता है, लेकिन वे मुंह से ब्राम्हण पैदा कर देते हैं तथा बांहों से क्षत्रिय, जंघे से वैश्य और पैर से शूद्र पैदा कर देते हैं। इस तरह का बकवास सनातन नहीं हो सकता। सनातन वैज्ञानिक, सर्व ग्राही व सबको स्वीकार्य भी है। हम उनसे बड़े सनातनी हैं। इसलिए जो सनातन धर्म का ढोल पीटते हैं, वह सनातन विरोधी हैं।”
…सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश
वहीं कृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह परिसर के एएसआइ सर्वेक्षण के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की मंजूरी और ज्ञानवापी को लेकर चल रहे विवाद को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्या ने आरोप लगाया है कि धार्मिक संस्थाएं धर्म के नाम पर नित्य उन्माद पैदा करने की कोशिश कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं। यह न देश के हित में है और न ही संविधान के अनुसार है।”