आरयू वेब टीम। गुजरात में मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर पीटने के मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत ने कड़ा एक्शन लिया है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के रवैये पर फटकार लगाते हुए कहा कि लोगों को खंभे में बांधकर पीटने का अधिकार आपको किसने दिया? अगर हाई कोर्ट ने 14 दिन की सजा सुनाई है तो अब आप कस्टडी का आनंद लें। अब आप कोर्ट से कैसे राहत की उम्मीद कर रहे हैं?
यह भी पढ़ें- बिलकिस बानो केस: जेल जाने से बचने के लिए अब हत्या-गैंगरेप के दोषी शादी, खेत व बीमारी का बहाना बना सुप्रीम कोर्ट से मांग रहें मोहलत
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के रवैये पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ये कैसा अत्याचार है, लोगों को खंभे से बांधकर सार्वजनिक तौर पर पिटाई करते हैं और फिर इस अदालत से उम्मीद करते हैं। हालांकि दोषियों के वकील के बार-बार अनुरोध पर शीर्ष अदालत ने चार दोषियों की अपील सुनवाई के लिए मंजूर कर ली। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिन की सजा के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
दरअसल गुजरात के खेडा में गरबा पर पथराव के आरोप में गुजरात पुलिस ने मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर पिटाई की थी। इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने दोषी चार पुलिस कर्मियों को 14 दिन की सजा दी थी। इसके खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
ये है पूरा मामला
अक्टूबर 2022 में खेडा नडियाद के उंधेला गांव में गरबा कार्यक्रम पर पथराव के आरोप में पुलिस ने 13 मुस्लिम युवकों को पकड़ा था। पुलिस कर्मियों ने इनमें से कुछ मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर उनकी सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस के इस संविधान विरोधी बर्बरतापूर्ण रवैये पर सवाल खड़े हुए थे।