देश की पहली गर्भनिरोधक गोली ‘सहेली’ के जनक डॉक्‍टर नित्या आनंद का लखनऊ में निधन

डॉक्‍टर नित्या आनंद
डॉक्‍टर नित्या आनंद के आवास पर शोक व्‍यक्‍त करने पहुंचे ब्रजेश पाठक।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भारतीय फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के भीष्म पितामह के रूप में प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिकित्सा वैज्ञानिक रहे डॉक्‍टर नित्या आनंद का शनिवार को लखनऊ में निधन हो गया। डॉक्‍टर नित्या आनंद, भारतीय दवा उद्योग की एकमात्र जननी संस्थान, विश्‍व विख्यात केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान – सीडीआरआई (सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट इंडिया) के संस्थापक निदेशकों में से रहे हैं।

99 वर्षीय डॉक्‍टर नित्या आनंद के निधन के बाद उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उनके निवास पर पहुंचकर डॉक्‍टर नित्या आनंद की पुत्री केजीएमयू की कुलपति व डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक प्रो. सोनिया से मुलाकात कर शोक जताया और पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

वैज्ञानिक समुदाय में अब तक की ईजाद इकलौती नॉन हार्मोनल, नों स्टेरॉयडल कांट्रेसेप्टिव पिल (गैर हार्मोनल, गैर स्टेरॉइडल गर्भनिरोधक गोली), सहेली, जिसे एक समय में नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत करने तक के लिए विचार किया जा रहा था, के जनक भी डॉक्‍टर नित्या आनंद ही थे। वर्तमान में यह औषधि छाया के नाम से राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम (नैशनल फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम) में भी शमिल रहे है।

औषध अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ के सेवानिवृत्त निदेशक नित्या आनंद औषध खोज एवं विकास अनुसंधान के क्षेत्र में एक जानी-मानी हस्ती थे। उन्होंने सीडीआरआई को औषध अनुसंधान के क्षेत्र में विश्‍व स्तर का केंद्र बनाने में नेतृत्व प्रदान किया है। औषध निर्माण विज्ञानों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने तथा आम आदमी को कम मूल्यों पर औषधियां उपलब्ध कराने में समर्थ होने के लिए भारती औषध उद्योग को आत्म निर्भर बनाने के अपने प्रयास के लिए व्यापक स्तर पर जाने जाते हैं।

डॉक्‍टर नित्या आनंद एक जनवरी 1925 को हुआ। उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज लाहोर से बी. एससी (1943), सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से रसायन शास्त्र में एम.एससी (1945), यू. डी. सी. टी., बम्बई से रसायन शास्त्र में पीएच. डी. (1948) तथा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, यू, के. से न्यूक्लीक एसिड के क्षेत्र में दूसरी पीएच. डी. (1950) की डिग्री प्राप्त की। आपने 1951 में सी. डी. आर. आई. के उदघाट्न के तुरन्त बाद इसमें कार्य भार ग्रहण कर लिया और 1984 में इसके निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए। वह 1958 से 1959 तक बोस्टन में हार्वर्ड मेंडिकल स्कूल की रॉकफैलर फाउन्डेशन फैलोशिप पर संयुक्त राज्य अमेरिका में रहे।

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उन्होंने सीडीआरआई में मैडिसनल कैमिस्ट्री रिसर्च में एक सक्रिय स्कूल का निर्माण किया जिसने नई औषधियों की डिजायन, खोज और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉक्‍टर नित्या आनंद के अनुसंधान से केन्टक्रोयन (सहेली), एक ओरल कन्ट्रेसेप्टिव; सेन्टब्यूक्रीडाइन, एक लोकल एनस्थेटिक तथा गुगलिप एक लिपिड लॉवरिंग औषध जैसी अनेक नई औषधियों की खोज हुई।

इतना ही नहीं लगभग 400 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, ‘आर्ट इन ऑर्गेनिक सिन्थैसिस’ पर संयुक्त रूप से दो पुस्तकें लिखी हैं, मानक पाठ्य पुस्तकों के लिए लगभग 30 अध्याय लिखे हैं और परिजीवियों (पैरासाइट्स) से होने वाली बीमारियों पर दो पुस्तकों का सम्पादन किया है।

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