PM मोदी से मिलें तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री स्टालिन, रखी ये मांगें

नरेंद्र मोदी एमके स्टालिन
नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री एमके स्टालिन।

आरयू वेब टीम। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर समग्र शिक्षा योजना के तहत केंद्रीय निधि जारी करने और 50-50 इक्विटी शेयरिंग के आधार पर चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना चरण- II को मंजूरी देने का अनुरोध करते हुए ज्ञापन सौंपा। साथ ही मुख्यमंत्री ने भारतीय मछुआरों के पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों को सुरक्षित करने और पकड़े गए मछुआरों और उनके शिल्प की रिहाई में तेजी लाने के लिए स्थायी समाधान की भी मांग की।

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स्टालिन ने लगभग 40 मिनट की बैठक को अच्छा बताया और कहा कि प्रधानमंत्री को तीन अनुरोधों वाला एक विस्तृत ज्ञापन दिया गया है। स्टालिन ने मीडिया से कहा, सुखद मुलाकात को उपयोगी बनाने के लिए सब कुछ पीएम मोदी के हाथों में है।” मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने पीएम मोदी से तीन महत्वपूर्ण अनुरोध किए हैं। मैंने पीएम को हमारे अनुरोधों को सूचीबद्ध करते हुए एक विस्तृत ज्ञापन दिया है।” पीएम मोदी को ज्ञापन के बारे में बताते हुए सीएम स्टालिन ने कहा, “जिस तरह केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना के पहले चरण को लागू किया , उसी तरह चेन्नई मेट्रो के दूसरे चरण को भी लागू किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार से धन नहीं मिला

तमिलनाडु सीएम ने कहा कि 2021-2022 के बजट के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चेन्नई मेट्रो रेल चरण दो परियोजना के लिए धन आवंटित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2022 को भी मंजूरी दे दी। अब तक कार्यों के लिए 18,564 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री तमिलनाडु से लंबित अनुमोदन के कारण, हमें केंद्र सरकार से धन नहीं मिला है। इससे मेट्रो रेल परियोजना धीमी हो गई है। इसलिए मैंने पीएम मोदी से बिना देरी किए इसके लिए धन जारी करने का अनुरोध किया।” मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से समग्र शिक्षा योजना के तहत धन जारी करने का भी अनुरोध किया।

मुफ्त नाश्ते जैसी योजनाएं…

स्टालिन ने कहा, “तमिलनाडु सरकार ने पहले ही एनईपी के कुछ अच्छे सुझावों को लागू कर दिया है। तमिलनाडु सरकार मुफ्त नाश्ते जैसी योजनाएं भी लागू कर रही है, जो अन्य राज्यों में लागू नहीं हैं, लेकिन तमिलनाडु तीन-भाषा नीति का पालन करने के लिए सहमत नहीं है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर है। भले ही एनईपी ने आश्वासन दिया हो कि किसी भी राज्य पर भाषा थोपी नहीं जाएगी, लेकिन यह समझौता ज्ञापन पर स्पष्ट नहीं था। इसलिए हम समझौता ज्ञापन में बदलाव करने के लिए कह रहे हैं।

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