आरयू वेब टीम। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। धामी का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कुछ दिन पहले अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने एसजीपीसी द्वारा दमदमा साहिब के जत्थेदार के रूप में ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवाएं समाप्त करने की कड़ी निंदा की थी। इस दौरान हरजिंदर धामी ने कहा कि वह हमेशा सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
वहीं उन्होंने अमेरिका से निर्वासित किए जा रहे सिखों के सिर से पगड़ी न होने पर नाराजगी जताई है और इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। हरजिंदर सिंह ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा जो बच्चे अमेरिका से डिपोर्ट होकर आ रहे हैं। उनकी पगड़ी (दस्तार) उतारी जा रही है, उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए और इस मामले की जांच होनी चाहिए। इस मामले में जो भी दोषी हो उसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए। एसजीपीसी की कार्यप्रणाली में मतभेद हैं और इसे एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।
हरजिंदर सिंह ने हरियाणा में अलग कमेटी बनने से सिखों की शक्ति कमजोर होने की चिंता जाहिर की है और कहा कि सिख समुदाय में एकजुटता की जरूरत है, लेकिन हरियाणा में अलग कमेटी बनने से समुदाय में मतभेद बढ़ रहे हैं। साथ ही कहा कि उनका जीवन एक ‘खुली किताब’ की तरह है और वह हमेशा अकाल तख्त के प्रति समर्पित रहेंगे। इस्तीफे के दौरान उन्होंने अपने समर्थकों और एसजीपीसी के सदस्यों का आभार भी जताया।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवा समाप्ति पर जत्थेदार रघबीर सिंह के ‘फेसबुक’ पर 13 फरवरी के पोस्ट का हवाला देते हुए धामी ने कहा कि उन्होंने लिखा था कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाना ‘‘बेहद निंदनीय’’ और ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है। आगे कहा, ‘‘मैं ‘प्रधान’ (एसजीपीसी का अध्यक्ष) होने के नाते जिम्मेदारी लेता हूं और नैतिक आधार पर तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा देता हूं।’’ साथ ही उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नए सदस्यता अभियान की निगरानी के लिए गठित सात सदस्यीय समिति में उन्हें उनके पद से मुक्त करने के लिए अकाल तख्त जत्थेदार को पत्र लिखा है।