तीनों सेनाओं का जैसलमेर में शक्ति प्रदर्शन, अपाचे से लेकर T-90 टैंक तक शामिल

शक्ति प्रदर्शन
तीनों सेनाओं का शक्ति प्रदर्शन।

आरयू वेब टीम। पाकिस्तान बॉर्डर के पास जैसलमेर के रेगिस्तान में भारत की तीनों सेनाओं थल सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर जबरदस्त युद्धाभ्यास किया। इस अभ्यास का नाम ऑपरेशन त्रिशूल है। इस अभ्यास में भारत की असली ताकत जमीन से लेकर आसमान तक देखने को मिली है। ये अभ्यास पाकिस्तान से कुछ ही किलोमीटर की दूरी हो रहा है।

रेगिस्तान में उड़ती धूल, गरजते टैंक और आसमान में गड़गड़ाते फाइटर जेट ये किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि भारतीय सेना का सबसे बड़ा रियल-टाइम अभ्यास मरु ज्वाला है। ये अभ्यास ऑपरेशन त्रिशूल का हिस्सा है, जो 12 दिन तक चल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के ठीक छह महीने बाद ये भारतीय सेनाओं का सबसे बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास है।

जहां एक और दिल्ली बम धमाके के बाद देश के सीमा से सटे इलाकों में हाई अलर्ट है। वहीं भारत-पाकिस्तान सीमा पर देश की तीनों सेनाएं अपनी युद्ध की तैयारियों को धार दे रही हैं, जिससे घबरा कर पाकिस्तान भी पश्चिमी सीमा पर हाई अलर्ट मोड में है। इस अभ्यास का मकसद है किसी भी परिस्थिति में, किसी भी इलाके में, एक साथ कार्रवाई करने की क्षमता को परखना है।

टी90 टैंक की क्या हैं खासियत?

टी-90 टैंक को सामान्य रास्ते पर 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है, जबकि उबड़ खाबड़ रास्ते पर इसकी अधिकतम रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब होती है।

इसे रूस के निझ्नी तागिल में उरालवैगनजावोद फैक्ट्री में बनाया जाता है।

टी-90 टैंक कहीं भी ले जाए जा सकते हैं।

दुश्मन से बचाव के लिए टी90 टैंक में कैक्टस के-6 एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर होता है।

रेत के समंदर में तपते मरुस्थल पर चले इस अभियान ने सेना के जवानो की युद्ध कौशल को निखारा है, लेकिन उससे भी बड़ी बात इन हथियारों में से ऐसे कई जंगी हथियार, टैंक और हेलीकॉप्टर, होवित्जर गन और एयर रडार सिस्टम है, जिन्हें एलओसी और एलएसी की सीमा पर तैनात किया जा चुका है।

भारतीय सेना ने पहली बार अपने युद्धाभ्यास में शामिल किए गए अमेरिकी अपाचे एएच-64ई हेलीकॉप्टरों ने आसमान से दुश्मन के ठिकानों पर निशाना साधा। इन्हें उड़ता हुआ टैंक कहा जाता है और अब ये भारत की थल सेना का हिस्सा हैं. भारतीय सेना को अमेरिका से तीन एएच-64ई अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर की पहली खेप जून 2025 में हिंडन एयरबेस पर मिली थी। ये वही मॉडल हैं जो पहले भारतीय वायुसेना के पास थे, लेकिन अब थल सेना के लिए अलग से तैयार किए गए हैं।

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इन हेलीकॉप्टरों की खासियत है। इनकी जबरदस्त मारक क्षमता है. ये हेलफायर मिसाइल, हाइड्रो रॉकेट, और स्टिंगर मिसाइल से लैस हैं। साथ ही इनमे लगी 30 मिमी की चेन गन 1,200 राउंड गोला बारूद से एक साथ हमला कर सकती है। इन हेलीकॉप्टरों में 360 डिग्री कवरेज वाला रडार, टारगेट एक्विजिशन सिस्टम और नाइट विजन कैमरे लगे हैं, जो दिन और रात दोनों वक्त दुश्मन को सटीक निशाना बना सकते हैं।

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