आरयू संवाददाता,
लखनऊ। एक तरफ योगी सरकार गुंडों माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की दुहाई दे रही तो दूसरी ओर विरोधी दल उसपर निर्देषों पर कार्रवाई कराने का आरोप सदन से लेकर राज्यपाल तक को ज्ञापन देकर लगा चुके हैं।
वहीं इन सबके बीच मंगलवार को राजधानी पुलिस अपनी करतूत के चलते एक बार फिर दागदार हो गयी। गैंगस्टर और गुंडा एक्ट में फर्जी फंसाने की धमकी देकर प्रापर्टी डीलर से 30 हजार रुपए वसूल रहे पीजीआइ कोतवाली के दीवान को एंटी करप्शन की टीम ने कोतवाली के पास से ही रंगे हाथ धर दबोचा।
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कोतवाली में तैनात हेड कांस्टेबल संकठा प्रसाद मौर्या पर आरोप है कि वह पहले भी कोतवाली पीजीआइ में बंद कर प्रापर्टी डीलर से 20 हजार और हाल ही में दस हजार रुपए वसूल कर चुका था। अपनी कार में दस हजार देते समय प्रापर्टी डीलर ने उसका वीडियो भी बना लिया था। एंटी करप्शन की टीम ने संकठा प्रसाद को गिरफ्तार करने के साथ ही उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में आलमबाग कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं इस मामले में इंस्पेक्टर पीजीआइ अरुण कुमार राय व कोतवाली में तैनात एसएसआइ पर भी प्रापर्टी डीलर ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
ये था मामला-
रायबरेली रोड स्थित वृन्दावन योजना के सेक्टर पांच निवासी सुरेंद्र कुमार चौरसिया प्रापर्टी डीलर है। जनवरी में पीजीआइ इलाके के ही दुर्गा पुरम निवासी मंजुला द्विवेदी ने पीजीआइ कोतवाली में सुरेंद्र के खिलाफ तहरीर देकर आरोप लगाया था कि फ्लैट के नाम पर उन्होंने लाखों रुपए ठग लिए हैं।
सुरेंद्र ने कहा कि शिकायत के बाद पीजीआइ पुलिस उसे बीते शनिवार को घर से कोतवाली उठा ले आयी। जहां उसे जमकर गाली देने के साथ ही फर्जी तरीके से गुंड एक्ट और गैंगस्टर में फंसाकर इंस्पेक्टर द्वारा जेल भेजने की धमकी दी गयी। जबकि उनका कहना था आवास विकास का फ्लैट दिलाने के लिए मंजूला ने पैसे दिए और अब वह खुद ही फ्लैट नहीं लेना चाहती, जबकि उसने किसी और को पैसे दे दिए हैं।
छह घंटों के बाद दीवान संकठा प्रसाद ने एक लाख रुपए की मांग सामने रख दी। बाद में 50 हजार की मांग करने लगा तो उसने अपने दोस्त से तत्काल 20 हजार रुपए मांगाकर संकठा को दे दिए। जिसके बाद कोतवाली में ही 100 रुपए के स्टांप पेपर पर फ्लैट न लेने की स्थिति में मंजुला द्विवेदी को रुपये वापस करने की उससे लिखा-पढ़ी कराने के बाद उसे कोतवाली से जाने दिया गया।
अगले दिन लिए 10 हजार
सुरेंद्र चौरसिया ने कहा कि अगले दिन रविवार को फिर संकठा प्रसाद की कॉल आयी और वह पैसों की डिमांड करने लगा। मजबूरी में उसने दस हजार रुपए देने के साथ ही घूस देते समय उसका कार में ही वीडियो बना लिया। दो बार पैसा देने के बाद लगा कि पुलिस उसको बख्श देगी, लेकिन दीवान उसपर लगातार और पैसा देने का दबाव बनाता रहा।
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जिसके बाद उसने इसकी शिकायत एंटी करप्शन मुख्यालय में की। आज दोपहर एक बार फिर संकठा प्रसाद ने पैसा देने के लिए पीजीआइ की ओपीडी के पास बुलाया। इसकी सूचना तत्काल सुरेंद्र चौरसिया ने एंटी करप्शन की टीम को दी। ओपीडी के पास पहुंचा संकठा प्रापर्टी डीलर से उसकी कार में 30 हजार रुपए ले ही रहा था कि जाल बिछाए बैठी एंटी करप्शन की टीम ने उसे धर दबोचा। इस मामले में सुरेंद्र चौरसिया ने आरोप लगाया कि उसने कोतवाली के एसएसआइ रमाकांत द्विवेदी को भी मांगने पर 8400 रुपए की कीमत का एक मोबाइल भी दिया था, जिसकी रसीद उसके पास मौजूद है।
28 फरवरी को रिटॉयर्ड होने वाले संकठा ने कहा मुझे फंसाया गया
एंटी करप्शन के शिकंजे में फंसा संकठा प्रसाद आगामी 28 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाला है। इस बारे में मीडियाकर्मियों के बात करने पर आरोपित ने दावा किया कि उसे फर्जी तरीके से फंसाया जा रहा है।
दूसरी ओर इस मामले में इंस्पेक्टर पीजीआइ अरुण कुमार राय का कहना है कि उन्होंने प्रापर्टी डीलर को कोतवाली नहीं बुलावाया। हालांकि उसके कोतवाली आने पर मुलाकात जरूर हुई थी। साथ ही फर्जी मुकदमें में फंसाने और गाली-गलौज का उनपर लगा आरोप निराधार है।
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एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि ये पूरी कार्रवाई डीजी एंटी करप्शन विश्वजीत महापात्र के निर्देश पर की गयी। मामले की जांच चल रही है आगे जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
गिरफ्तारी करने वाली टीम में ये रहें शामिल-
एंटी करप्शन उपाधीक्षक उपेंद्र कुमार, निरीक्षक सुरेंद्र सिंह सोलंकी, निरीक्षक रमेश कुमार समेत एंटी करप्शन के जगदीश तिवारी, संतोष द्विवेदी, राजेंद्र यादव, विनोद यादव।