आरयू वेब टीम।
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज किए जाने के खिलाफ दायर कांग्रेस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। 45 मिनट की सुनवाई के बाद जस्टिस एके सीकरी ने याचिका को खारिज कर दिया, क्योंकि कांग्रेस के दोनों सांसदों प्रताप सिंह बाजवा और अमी हर्षदरे याचिक ने अपनी याचिका को वापस ले लिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मीडिया को बताया कि हमने कल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को राजसभा के सभापति वेंकैया नायडू द्वारा खारिज किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसपर आज सुनवाई हुई। कल शाम को हमें पता चला कि हमारी याचिका पर पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी।
यह भी पढ़ें- अब SC के दो जजों ने CJI को लिखी चिट्ठी, कहा बुलाएं फुल मीटिंग
यह आदेश किसने दिया। आदेश में क्या है? यह जानकारी हमें नहीं थी इसलिए हमने इस आदेश की कॉपी मांगी है, ताकि हम इसके खिलाफ अपील कर सकें। कल कांग्रेस के दो सांसदों ने महाभियोग नोटिस को खारिज किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
वहीं कांग्रेस ने अपनी याचिका में उपराष्ट्रपति के इस फैसले को अवैध और मनमाना बताया है। कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला लेते समय उन्होंने किसी तरह की जांच नहीं की। कल कांग्रेस के दो सांसदों ने नायडू के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई के लिए कल पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठित कर दी गयी थी।
यह भी पढ़ें- उपराष्ट्रपति ने खारिज किया चीफ जस्टिस के खिलाफ विपक्षी दलों का महाभियोग प्रस्ताव
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को होने वाले कामकाज की सूची में इस केस को सूचीबद्ध किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष कल इस मामले का उल्लेख किया था।
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति कौल की पीठ ने शुरू में सिब्बल से कहा कि इस याचिका का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश के समक्ष करें लेकिन बाद में सिब्बल और प्रशांत भूषण से कहा था कि वे कल आयें। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस याचिका को उन न्यायाधीशों के सामने सूचीबद्ध नहीं किया गया जो वरिष्ठता क्रम में दूसरे से पांचवें स्थान पर हैं। ये न्यायाधीश ( न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ) वहीं हैं जिन्होंने 12 जनवरी को विवादित संयुक्त प्रेस कांफ्रेस करके प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे।