आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के मामले में एससी/एसटी आरक्षण पर अपना अहम फैसला सुनाया है। पांच जजों की पीठ ने सरकारी नौकरियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण पर फैसला सुनाया कि सरकारी नौकरियों के प्रमोशन में एससी/एसटी को आरक्षण मिलेगा।
सरकारी नौकरी में प्रमोशन में एससी/एसटी आरक्षण पर फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने कहा कि नागराज जजमेंट को सात जजों को रैफर करने की जरूरत नहीं है।
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साथ ही देश की उच्चतम न्यायालय ने ये भी कहा है कि लेकिन एक राहत के तौर पर राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकारीं और कहा कि अब सरकार सरकारी नौकरी के प्रमोशन में एससी/एसटी आरक्षण दे सकती है।
उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ को यह तय करना था कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संविधान पीठ के 12 साल पुराने नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। वहीं इस मामले में 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था।
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साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों ने सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण की वकालत की थी तो वहीं याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया। केंद्र ने कहा है कि संविधान में एससी/एसटी को पिछड़ा ही माना गया है। इसलिए वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करने की जरूरत नहीं है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ के समक्ष इस तरह के कोटे के खिलाफ 2006 के नागराज फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई थी।
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