आरयू वेब टीम।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फ्रेंच गुएना के अंतरिक्ष केंद्र से अपने 40वें संचार उपग्रह जीसैट-31 को बुधवार को प्रक्षेपित किया। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, उपग्रह का जीवनकाल 15 साल का है। कक्षा के अंदर मौजूद कुछ उपग्रहों पर परिचालन संबंधी सेवाओं को जारी रखने में यह उपग्रह मदद करेगा और जियोस्टेशनरी कक्षा में केयू-बैंड ट्रांसपोंडर की क्षमता बढ़ाएगा।
जीसैट-31 की ये है खासियत
एरियनस्पेस के अनुसार, रॉकेट एरियन पांच को लॉन्च तत्परता की समीक्षा के बाद प्रक्षेपण के लिए अधिकृत कर दिया गया है। इस रॉकेट में भारत के जीसैट-31 के साथ सऊदी जियोस्टेशनरी सैटेलाइट 1/हेलास सैट चार भी भेजे जाएंगे। इसरो ने बताया कि यह 2,535 किलोग्राम वजनी है। जीसैट-31 40वां संचार उपग्रह है और यह भू-स्थैतिक कक्षा में कू-बैंड ट्रांसपोंडर क्षमता को बढ़ाएगा।
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उपग्रह जीसैट-31’ को इसरो के परिष्कृत I-2K बस पर स्थापित किया गया है। यह इसरो के पूर्ववर्ती इनसैट/जीसैट उपग्रह श्रेणी के उपग्रहों का उन्नत रूप है। यह उपग्रह भारतीय भू-भाग और द्वीप को कवरेज प्रदान करेगा।
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इसरो ने यह भी कहा था कि जीसैट-31 का उपयोग सहायक वीसैट नेटवर्कों, टेलीविजन अपलिंक्स, डिजिटल उपग्रह समाचार जुटाने, डीटीएच टेलीविजन सेवाओं, सेलुलर बैक हॉल संपर्क और इस तरह के कई ऐप्लीकेशन में किया जाएगा। इसरो के मुताबिक, यह उपग्रह अपने व्यापक बैंड ट्रांसपोंडर की मदद से अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के विशाल समुद्री क्षेत्र के ऊपर संचार की सुविधा के लिये विस्तृत बीम कवरेज प्रदान करेगा।
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Here's a lift-off video from @Arianespace.#GSAT31#Ariane5 (#VA247) pic.twitter.com/mHvltAXC1Y
— ISRO (@isro) February 6, 2019