आरयू वेब टीम।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) जल्द ही गगनयान को अंतरिक्ष में भेजेगा और इसके लिए तैयारियां काफी तेजी से चल रही हैं। इस बात की जानकारी शुक्रवार को इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने बेंगलुरू में एक प्रेसवार्ता में दी है। मीडिया को संबोधित करते इसरो प्रमुख ने बताया कि इसरो के पास 17 मिशन थे, जिनमें सात लॉन्च व्हिकल मिशन, नौ अंतरिक्ष यान मिशन शामिल थे, जिसमें 17 मिशन पर इसरो ने सफलता पाई जबकि एक लक्ष्य से चूक गया।
के. सिवान ने यह भी बताया कि इस साल हमने 2जीएसएलवी और एमके-3 लॉन्च किए हैं, इसके अलावा सबसे भारी सेटेलाइट जीसैट-11 भी लॉंच किया। इसरो के मुताबिक उनके पास 158 प्रोजक्ट हैं, जिनमें से 94 को पूरा किया जा चुका है।
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इसरों प्रमुख ने जानकारी देते हुए कहा कि इसरो ने जम्मू यूनिवर्सिटी में एक साइंस सेंटर की भी स्थापना की है। इसके अलावा इसरो ने इस साल करीब 20 हजार नौकरियां भी दीं और 80 प्रतिशत पैसे का इस्तेमाल उद्योगों में किया गया है।
वहीं इसरो के लिए कुल 30 हजार करोड़ की रकम को मंजूरी दी गई है, जिसमें सिर्फ गगनयाद के लिए 10 हजार 600 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इन पैसे को अगले कुछ साल में खर्च किया जाएगा।
गगनयान की अहमियत को बताते हुए इसरो चीफ ने कहा कि यह मिशन हमारे लिए काफी अहम इसलिए है, क्योंकि हम गगनयान में एक इंसान को स्पेस में भेजेंगे और यान के जरिए ही वापस धरती पर लाएंगे। इस प्रक्रिया के दो पहलू हैं मानव और इंजीनियरिंग। इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के लिए एक नया सेंटर भी स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह साल गगनयान के लिए काफी अहम है, क्योंकि दिसंबर 2020 में पहला मिशन और जुलाई 2021 में दूसरा मिशन तैयार होगा, इसे पूरा करने के बाद दिसंबर 2021 में गगनयान मिशन होगा। अगले साल के लिए कुल 32 मिशन प्लान किए गए हैं, जिसमें 14 लॉन्च व्हिकल से जुड़े हैं।
इसरो चीफ के मुताबिक गगनयान के लिए भारत में होने वाली ट्रेनिंग पूरी कर ली गई है, लेकिन आगे की ट्रेनिंग के लिए अंतरिक्ष यात्री रूस जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मिशन के लिए हम चाहते हैं कि किसी महिला को भेजा जाए, लेकिन यह ट्रेनिंग पर निर्भर करेगा। फिलहाल महिला और पुरुष दोनों को ही ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए किसी भी विदेशी एजेंसी की मदद नहीं ली जाएगी, आखिरी चरण में किसी विदेशी एजेंसी को जरूर शामिल किया जा सकता है।
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