आरयू वेब टीम। तीन तलाक पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया गया तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा से भी पास हो गया। इससे पहले यह बिल लोकसभा से पास हो चुका है। बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े। इसे ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ कहा गया है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा और मुस्लिम महिलाओं को दिया जाने वाला एक साथ तीन तलाक अपराध माना जाएगा।
एनडीए के 16 दलों ने इस बिल का बहिष्कार किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वहीं बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआइएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई।
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इससे पहले, बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव गिर गया था। तभी तय हो गया था कि यह बिल राज्यसभा में पास हो जाएगा, क्योंकि वोटिंग के दौरान संख्याबल यही रहने के आसार थे। थोड़ी देर बाद, बिल पास हो गया। लोकसभा में पास होने के बाद तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया गया था। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोपहर 12 बजे बिल सदन के पटल पर रखा था।
ये होगा नियम
देश में अब ट्रिपल तलाक अपराध होगा।
ट्रिपल तलाक देने पर पति को अधिकतम तीन साल की सजा मिल सकती है।
पीड़िता या रिश्तेदार अब एफआइआर दर्ज करा सकते हैं।
अब कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।
किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक अवैध होगा।
जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा।
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तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए मजिस्ट्रेट से भरण-पोषण और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।
मजिस्ट्रेट तय करेगा कितना गुजारा भत्ता देना है।
महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकती है।