आरयू वेब टीम। ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी के लिए देशभर में जहां विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की नीतियों को गलत बताते हुए जिम्मेदार ठहराया है। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटो सेक्टर की गिरावट के लिए कार सेवा देने वाली कंपनी ओला व ऊबर को जिम्मेदार ठहराया है।
साथ ही मंगलवार को उन्होंने इसके लिए लोगों के माइंडसेट में बदलाव और बीएस-6 मॉडल को जिम्मेदार बताया। वित्त मंत्री ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं, जिनमें बीएस-6 मूवमेंट, रजिस्ट्रेशन फी से संबंधित मामले और लोगों का माइंडसेट भी शामिल है।
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सीतारमण ने कहा कि आजकल लोग गाड़ी खरीदकर ईएमआई भरने से ज्यादा मेट्रो में सफर करना या ओला-ऊबर का उपयोग करना पसंद करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इस सेक्टर में गिरावट एक गंभीर समस्या है और इसका हल निकाला जाना चाहिए। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर वित्त मंत्री पत्रकारों से बात कर रही थीं।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘हम सभी सेक्टर्स की समस्याओं के लेकर गंभीर हैं और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। यह सरकार सबकी सुनती है। अगस्त और सितंबर में दो बड़े ऐलान किए गए, जरूरत के मुताबिक और भी घोषणाएं की जा सकती है।’
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बताते चलें कि मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने इस बात से इनकार किया था कि ओला, ऊबर की वजह से कारों की बिक्री पर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने इसके लिए सरकार की नीतियों को भी जिम्मेदार ठहराया। भार्गव ने बताया कि पेट्रोल-डीजल की ऊंची टैक्स दर और रोड टैक्स की वजह से भी लोग कार खरीदने से कतराने लगे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि जीएसटी की कटौती से इसमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। वहीं इंडस्ट्री इस सुस्ती से निपटने के लिए जीएसटी कट की मांग कर रही है।
मारुति के चेयरमैन ने कहा कि कारों में एयरबैग्स और एबीएस जैसे सेफ्टी फीचर्स जोड़ने की वजह से कीमतें बढ़ गईं और कार दुपहिया वाहन चलाने वालों की पहुंच से दूर हो गई। भार्गव ने कहा था कि ओला, ऊबर इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि सख्त सेफ्टी व एमिशन नियम, बीमा की ज्यादा लागत औऱ अतिरिक्त रोड टैक्स इसे प्रभावित कर रहा है।
बता दें कि लगातार 10वें महीने अगस्त में भी कारों की बिक्री में कमी आई है। लगभग सभी कंपिनियों की बड़ी गाड़ियों की बिक्री कम होती जा रही है। इस क्षेत्र में लोगों की नौकरियां भी जानी शुरू हो गयीं हैं।