आरयू ब्यूरो, लखनऊ। हथियारों के लाइसेंस के मामले में शनिवार को बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ी राहत दी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने आज अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। लखनऊ बेंच ने पुलिस से तीन साप्ताह में कार्रवाई के संबंध में जवाब भी मांगा है।
बताते चलें कि हाल ही में बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के नई दिल्ली स्थित आवास पर छापेमारी कर लखनऊ पुलिस ने बड़ी संख्या में असलहे व कारतूस बरामद किए थे। पुलिस का कहना था कि इन असलहों को एक ही लाइसेंस पर खरीदा गया था, जो गैरकानूनी है। पुलिस ने इस मामले में राजधानी लखनऊ की महानगर कोतवाली में अब्बास अंसारी के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा भी दर्ज किया था। जिसके बाद से पुलिस अब्बास का पता लगा रही थी। इस दौरान हाई कोर्ट पहुंचे अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर लखनऊ बेंच के जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस रेखा दीक्षित ने आज एक आदेश के तहत उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
डबल बेंच ने इस मामले में सरकार व पुलिस को फटकार लगाने के साथ ही कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि लखनऊ जिलाधिकारी ने अब्बास अंसारी के असलहे के लाईसेंस के संदर्भ में एनओसी जारी कर दी थी दिल्ली पुलिस ने भी उन्हें लाईसेंस जारी कर दिया था तो इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस कैसे एफआइआर दर्ज कर सकती है, उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि केस का न्यायिक क्षेत्र भी दिल्ली है। कोर्ट ने अब्बास अंसारी के गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए, पुलिस से तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगा कि अब्बास अंसारी पर यूपी पुलिस ने क्यों कार्रवाई की।
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इससे पहले आज अब्बास अंसारी के एडवोकेट सिद्धार्थ सिन्हा ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि यूपी पुलिस ने भेदभाव पूर्ण कार्रवाई की है। जबकि जहां कार्रवाई की गयी वो न्यायिक क्षेत्र उसके अधिकार में भी नहीं आता। साथ ही उन्होंने अब्बास अंसारी को राष्ट्रीय स्तर का शूटिंग का खिलाड़ी बताते हुए दलील दी थी कि जो भी हथियार बरामद किए गए थे वो प्रतिबंधित नहीं थे। अब्बास राष्ट्रीय स्तर का शूटिंग खिलाड़ी है, लिहाजा वह अधिक लाइसेंसी शस्त्र रख सकता है। ऐसे में याची के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है और उसे राजनीतिक रंजिश की वजह से इस मामले में फंसाया गया।