आरयू वेब टीम। एनसीपी नेता व महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार को महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले के मामले में क्लीन चिट दी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में 27 नवंबर को एसीबी ने हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि एजेंसियों के भ्रष्टाचार के लिए अजित पवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि उनका कोई कानूनी कर्तव्य नहीं था।
वहीं महाराष्ट्र में सरकार बनाने की सियासी उठापटक के बीच एसीबी ने 25 नवंबर को सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद कर दिए थे। साथ ही एसीबी ने कहा था कि जो नौ केस बंद किए गए हैं, उनका वास्ता अजित पवार से नहीं है।
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एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख और मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय बारवे ने भी कुछ साल पहले कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। एसीबी के हलफनामे में कहा गया था कि गोसीखुर्द और जीगाव परियोजनाओं के लिए टेंडर की फाइल पर अजित पवार ने साइन किए।
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वहीं अब नए हलफनामे में कहा गया है कि विदर्भ इरिगेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (वीआइडीसी) के सभी प्रावधानों का पालन किया गया, इसलिए उनका ऑब्जर्वेशन खारिज किया गया।
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मालूम हो कि अजित पवार इस घोटाले में आरोपित थे। जब भाजपा की सरकार थी, तब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भ्रष्टाचार के इन्हीं मामलों में अजित पवार को जेल भेजने की बात करते रहे, हांलाकि बाद में फडणवीस ने इन्हीं अजित पवार के समर्थन से सरकार बनाई और पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया। पवार को क्लीन चिट देने की भी तभी शुरुआत हो गई थी।