आरयू ब्यूरो, लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूपी समेत देश भर में हो रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिसिया कार्रवाई को आज कांग्रेस ने पूरी तरह से गलत बताया है। कांग्रेस ने प्रदेश की योगी सरकार के साथ ही केंद्र की मोदी सरकार को भी निशाने पर लेते हुए रविवार को गंभीर आरोप लगाएं हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज इस बारे में एक प्रेसवार्ता में कहा है कि संविधान बचाने के लिए जनता सड़कों पर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रही है, लेकिन भाजपा सरकार पुलिस के दम पर हिंसा के जरिये आंदोलनों का दमन कर रही है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नोटबंदी के बाद सीएए और एनआरसी के नाम पर सरकार फिर गरीबों को लंबी-लंबी लाइनों में लगवाना चाहती है। यह कानून संविधान विरोधी है और किसी भी कीमत पर बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के खिलाफ संघी कानून को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
हिंसा व मौतों की हो न्यायिक जांच
उन्होंने प्रदर्शन के दौरान कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आज कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि हापुड़, बिजनौर, रामपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद व कानपुर समेत अन्य जिस भी जिले में हिंसा व इसमें करीब दर्जन लोगों की हुई मौतों की तत्काल न्यायिक जांच होनी चाहिए। अजय कुमार ने तर्क देते हुए कहा कि न्यायिक जांच इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि दिल्ली में जिस तरह पुलिस की भूमिका सामने आयी है, उससे यूपी में हुई हिंसा में भी पुलिस का हाथ होने से मना नहीं किया जा सकता है।
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प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस कैसे काम कर रही है इसका अंदाजा हाल ही में सामने आए बिजनौर के पुलिस कप्तान के ऑडियो से ही लगाया जा सकता है, कि किस तरह शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों के दमन किया गया।
गैरकानूनी तरीके से की जा रही गिरफ्तारी
वहीं आज यूपी में प्रदर्शन व बवाल को लेकर हो रही ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों व लाठीचार्ज का जिक्र करते हुए लल्लू ने मीडिया से काह कि पूरे यूपी में राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तारी की जा रही है, उन्हें तत्काल रिफा किया जाना चाहिए।
साथ ही अजय कुमार ने कांग्रेस की एक नेता का भी इस दौरान जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता रहीं सदफ जाफर को पुलिस ने जिस बर्बर ढंग से पीटा है, वह निंदनीय और आपराधिक कृत्य है। सदफ जाफर को पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया, उनकी गिरफ्तारी की सूचना भी पुलिस ने 24 घंटे तक छिपाए रखी। साथ ही लखनऊ में भी कई प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने नजरबंद किया था। बाद में घर से उठा लिया और हिरासत में उनके साथ मारपीट की गयी। गिरफ्तारी की जानकारी उनके परिजनों को नहीं दी और जेल भेज दिया।
हालात यह है कि अगर कोई गिरफ्तार किए गए आंदोलनकारियों के संदर्भ में कोई जानकारी चाहता है या पैरवी कर रहा है तो उसे भी पुलिसिया उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि संविधान के लिए आवाज उठाने वालों को न सिर्फ सरकार को जल्द से जल्द रिहा कर देना चाहिए, बल्कि इसमें शामिल दोषी पुलिसकर्मियों पर भी कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
राज्यपाल को पत्र लिख न्यायिक जांच की मांग
वहीं पत्रकारों को जानकारी देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पुलिसिया हिंसा और दमन पर रोक के लिए उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर न्यायिक जांच की मांग की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री ने गैर जिम्मेदाराना असंयमित टिप्पणी करके हिंसा को उकसाया और पुलिसिया हिंसा को बढ़ावा दिया है।
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साथ ही हिंसा में जान गंवाने वाले निर्दोषों को मुआवजे दिलवाया जाए, इसके अलावा हिंसा और आगजनी की न्यायिक जांच करवाई जाए जिससे कि सच्चाई जनता के सामने आ सके और लोगों के साथ इंसाफ हो। पत्र में सभी राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने की भी मांग की गई है। प्रेसवार्ता में कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता अराधना मिश्रा ‘मोना’ व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी भी मौजूद रहें।