आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भ्रष्टाचार और मनमानी के लिए एलडीए ऐसे ही नहीं बदनाम है, इसके लिए अफसर व इंजीनियर शासन तक के निर्देशों को भी ठेंगे पर रखते है। कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एलडीए शासन के तमाम निर्देशों के बाद भी ऐसे इंजीनियरों को बचाने में लगा है, जिनपर चारबाग के उन दो अवैध होटलों को अवैध रूप से बनवाने व बचाने का आरोप है, जिसमें लगी आग में जिंदा जलकर सालभर के मासूम समेत सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी थी, जबकि होटल में ठहरे करीब दर्जनभर लोग घायल हुए थे।
आलम यह है कि शासन की तरफ से पिछले करीब छह महीने से दोषियों पर कार्रवाई के लिए जरूरी जानकारी मांगी जा रही, लेकिन अधिकारी टस से मस नहीं हो रहें। इसपर नाराजगी जताते हुए अब अनु सचिव आवास अजय कुमार सिंह ने एलडीए उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर दोषी इंजीनियरों के संबंध में एलडीए की ओर से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
शासन की बैठक में कहा दो दिन में देंगे जानकारी, लेकिन…
एलडीए को बार-बार पत्र लिखने पर भी जवाब नहीं मिलने पर बीती 28 जनवरी को विशेष सचिव आवास अपूर्वा दूबे ने खुद शासन में एलडीए के चीफ इंजीनियर इंदूशेखर सिंह, वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह व अधिशासी अभियंता जहीरूद्दीन के साथ बैठक कर एलडीए की ओर से रिपोर्ट देने में आ रही समस्याओं के बारे में पूछा था। जिसपर अधिकारियों ने दो दिन में शासन को रिपोर्ट सौंपने की बात कही थी, लेकिन आज तक एलडीए की ओर से दोषी इंजीनियरों के संबंध में जानकारी शासन को नहीं भेजी गयी।
एलडीए ने खुद भी नहीं की दोषियों पर कार्रवाई
वहीं अग्निकांड के 24 दोषियों में शामिल छह कर्मचारियों को एलडीए को अपने स्तर से कार्रवाई करनी थी, लेकिन आज तक एलडीए उन पर भी अपनी मेहरबानी बनाए हुए है। पिछले साल एडीजी की जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने मामले में दोषी पाए गए कनिष्ठ लिपिक महेंद्र प्रताप सिंह और बालक राम, चौकीदार राम पाल, अनुचर शिव प्रसाद तिवारी, गैंगमैन हरिनाथ और बेलदार श्रीराम कश्यप पर कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इस बीच करीब दो महीना पहले शासन ने पीएन सिंह का तबादला कर दिया।
ध्वस्तीकरण की जगह निर्माण शुरू
वहीं सात बेकसूरों की जान लेने वाले हादसे के बाद भी एलडीए ने आज तक दोनों होटलों को पूरी तरह नहीं ढहाया। इसके उलट इसी महीने अवैध होटल परिसर में निर्माण भी शुरू हो गया, लेकिन इंजीनियर व अधिकारी आंख बंद किए बैठे रहें, हालांकि मीडिया में मामला उछलने के बाद किरकिरी होती देख एलडीए ने निर्माण बंद कराया। इतना ही नहीं अग्निकांड के समय चारबाग क्षेत्र में तैनात रहे जेई रविंद्र श्रीवास्तव को भी कुछ महीना पहले ईमानदारी का दम भरने वालों ने चारबाग इलाके की ही कमान सौंप दी।
मातहतों में जा रहे खतरनाकर संदेश, सरकार की छवि भी हो रही धूमिल
एलडीए के अधिकारी दोषियों को बचाने में क्यों लगें हैं, इसका जवाब तो वह देने से बच रहें, लेकिन अधिकारियों की इस कार्यप्रणाली से न सिर्फ योगी सरकार की छवि धूमिल हो रही, बल्कि भ्रष्टाचार व मनमानी करने वाले अधिकारी, इंजीनियर व कर्मचारियों में जनहित के नजररिये से बेहद खतरनाकर मैसेज जा रहा। होटल अग्निकांड के बाद अकसर ये सवाल उठता रहा है कि सात लोगों की जान जाने वाले मामले में जब एलडीए का ऐसा रवैया है तो अन्य में वह भ्रष्टाचारियों व लापरवाह मातहतों को बचाने के लिए कितने पैंतरें आजमाएगा।
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जानें क्या था मामला-
चारबाग के पास अवैध रूप से बनाएं गए होटल विराट और एसएसजे इंटरनेशनल में 19 जून 2018 को आग लगी थी। जिसमें जलकर एक मासूम समेत छह लोगों की मौत हो गयी थी, जबकि करीब दर्जनभर लोग झुलसने से घायल हुए थे, जिसमें से एक अन्य ने बाद में दम तोड़ दिया था। इतना बड़ा अग्निकांड होने के बाद मुख्यमंत्री ने खुद इसका संज्ञान लेते हुए घटना की जांच व इसके लिए दोषियों को कड़ी कार्रवाई की बात कही थी। मामले की जांच त्तकालीन एडीजी जोन लखनऊ राजीव कृष्ण को सौंपी थी, एडीजी ने उस समय एलडीए में तैनात वीसी प्रभु एन सिंह के साथ मिलकर पिछले साल अपनी जांच पूरी करने के साथ ही आइएएस व पीसीएस अफसर समेत कुल 24 इंजीनियर व कर्मचारियों को दोषी माना था।
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कहा जा रहा है शासन ने कार्रवाई से पहले दोषी पाए गए इंजीनियरों को पत्र लिखा तो उन्होंने खुद को बेकसूर बताते हुए तमाम तर्क गिना डाले। जिसके बाद शासन ने इंजीनियरों के तर्क के संबंध में एलडीए से जानकारी मांगीं, लेकिन करीब छह महीना बीतने के बाद भी उसे जानकारी नहीं दी जा सकी।
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मेरी जानकारी में अभी शासन के लेटर की बात नहीं आयी है। मीटिंग में जो अधिकारी गए थे उनकी जिम्मेदारी बनती है, समय से जवाब भेजना। कल इस बारे में पता कर एक-दो दिन में शासन को जवाब भेज दिया जाएगा। एमपी सिंह, एलडीए सचिव