आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री व डीजीपी की लाख नसीहतों के बाद भी अक्सर ही पुलिस पर जनता की शिकायतों की अनसुनी व कार्रवाई को लेकर लापरवाही की खबरें सामनें आतीं रहीं हैं। वहीं लखनऊ में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस विभाग ने एक नई पहल की है। ‘जनसुनवाई आमने-सामने’ में अब प्रत्येक शनिवार पीड़ित के सामने विवेचक की भी पेशी होगी। इस कार्यक्रम की शुरुआत आज पुलिस लाइन में ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर नवीन अरोड़ा और कमिश्नर सुजीत पाण्डेय की मौजूदगी में हुई।
विवेचकों की खुली पोल
कार्यक्रम उद्घाटन होते ही पुलिस लाइन में भारी संख्या में पीड़ित फरियाद लिए जमा हुए। पहले दिन पुलिस लाइन में 48 मामले पहुंचे। कमिश्नर ने खुद सभी के विवेचनाधिकारी और पीड़ित फरियादियों को आमने-सामने बैठाकर मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी। जनसुनवाई आमने-सामने अभियान के शुभारंभ में एक तरफ जहां विवेचकों की पोल खुली। वहीं, हसनगंज क्षेत्र मदेयगंज चौकी इंचार्ज प्रमोद कुमार व मड़ियांव क्षेत्र केशवनगर चौकी इंचार्ज डीके सिंह लाइन हाजिर किए गए। डीसीपी नॉर्थ सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने लोगों की समस्याओं को गंभीरतापूर्वक सुना। सुनवाई में लामार्टिनियर के छात्र राहुल श्रीधरन के माता-पिता विवेचक के साथ पहुंचे। उन्होंने बताया कि गौतमपल्ली पुलिस की लापरवाही के चलते पांच साल बाद भी न्याय नहीं मिला है।
प्रत्येक शनिवार लिए जाएंगे कुल 50 गंभीर मामले
यह पहल जनसुनवाई के तर्ज पर शुरू हो रही है। प्रत्येक शनिवार पीड़ित के सामने विवेचक की भी पेशी होगी। इस व्यवस्था में पुलिस लाइन प्रत्येक शनिवार कुल 50 गंभीर मामले लिए जाएंगे। यह पहला मौका होगा जब अफसर पीड़ित की समस्याएं तो सुनेंगे ही हीलाहवाली पर उसके सामने ही विवेचक पर कार्रवाई भी प्रस्तावित कर सकेंगे। सात डीसीपी, दोनों ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर के साथ पुलिस कमिश्नर स्वयं इसमें भाग लेंगे। इस जनसुनवाई में खास बिंदु यह होगा कि प्रत्येक अधिकारी पांच गंभीर मामलों के पीड़ितों के साथ विवेचक से सीधे संवाद करेंगे। विवेचक को मुकदमे से संबंधित सभी कागजात के साथ पेश होना होगा।
अफसर खुद पीड़ित से पूछेंगे कि वह विवेचना से संतुष्ट है कि नहीं
पुलिस कमिश्नर से लेकर सभी अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में बैठकर समस्याएं सुनेंगे, जिससे पीड़ितों को भी उनतक पहुंचने में कोई समस्या न हो, जो विवेचक 90 दिन से अधिक समय से भी विवेचनाएं लटकाए रहते थे, या पीड़ित पक्ष को संतुष्ट नहीं कर पाते थे, उनपर इस नई व्यवस्था में शिकंजा कसना तय है। अफसर खुद पीड़ित से पूछेंगे कि वह विवेचना से संतुष्ट है कि नहीं।
जारी किया गया सीयूजी नंबर
वहीं मुकदमा दर्ज कराने के बाद विवेचकों के चक्कर काटने के बावजूद जिन्हें न्याय नहीं मिल पाता, उन्हें भी अब न्याय मिलेगा। ऐसे पीड़ितों को संबंधित अफसरों के वहां रजिस्टर मिलेगा, जिसमें वह अपना नाम, पता और समस्या रजिस्टर्ड करा सकेंगे। साथ ही जिनको मुकदमा दर्ज कराने के बाद भी विवेचक के चलते न्याय नहीं मिल पा रहा है, उनकी शिकायत के लिए पुलिस कमिश्नर कार्यालय से 9454400290 सीयूजी मोबाइल फोन नंबर जारी किया गया है, यह नंबर पहले एसएसपी का हुआ करता था। इससे गंभीर मामलों को चयन करके पीड़ितों को बारी-बारी से प्रत्येक शनिवार संबंधित अफसर के वहां बुलाया जाएगा। इसके अतिरिक्त आइजीआरएस से भी मामले लिये जाएंगे।