#CoronaVirus: कौन है दिल्‍ली का असली गुनाहगार, “निजामुद्दीन मरकज के इन दावों के बाद उठी जांच की मांग व कई सवाल”

असली गुनाहगार

आरयू वेब टीम। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में जुटे तबलीगी जमात के लोगों में से 24 को कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने व सात की जान जाने के बाद जहां दिल्‍ली पुलिस प्रशासन व केजरीवाल सरकार निजामुद्दीन मरकज पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की बात कही है।

वहीं पूरे घटनाक्रम को क्रम से रखते हुए निजामुद्दीन मरकज ने बयान जारी किया है। बयान के बताएं गए तथ्‍यों के आधार पर दिल्‍ली पुलिस-प्रशासन व मुकदमा दर्ज कराने की बात कहने वाली केजरीवाल सरकार सवालों से घिरती नजर आ रही है। धर्म गुरु ने जहां इस पूरे मामले की जांच कि मांग की है वहीं केजरीवाल सरकार के ही एक विधायक ने भी सवाल उठाया है।

नीचें देखें आखिर किन तथ्‍यों के चलते उठ रहें सवाल-

बयान के अनुसार तबलीगी जमात 100 साल से पुरानी संस्था है जिसका हेडक्वार्टर दिल्ली की बस्ती निजामुद्दीन में है। यहां देश और विदेश से लोग लगातार साल भर आते रहते हैं। यह सिलसिला लगातार चलता है, जिसमें लोग दो दिन, पांच दिन या 40 दिन के लिए आते हैं। लोग मरकज में ही रहते हैं और यहीं से तबलीग का काम करते हैं।

जब भारत में जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ उस वक्त हमेशा की तरह बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे, उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा।

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वहीं 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बंद होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।

जनता कर्फ्यू के साथ साथ 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन का ऐलान किया। इस वजह से बस या निजी वाहन भी मिलने बंद हो गए। लोगों को उनके घर भेजना मुश्किल हो गया। ये लोग पूरे देश से आए हुए थे।

बयान के अनुसार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानते हुए हम लोगों ने लोगों को बाहर भेजना सही नहीं समझा। उनको मरकज में ही रखना बेहतर था। 24 मार्च को अचानक एसएचओ निजामुद्दीन ने हमें नोटिस भेजा कि हम धारा 144 का उलंघन कर रहे हैं। हमने उसी दिन उनको जवाब दिया कि मरकज को बंद कर दिया गया है। 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है। अब 1000 बच गए हैं, जिनको भेजना मुश्किल है, क्योंकि ये दूसरे राज्यों से आए हैं। हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी हैं।

हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा। ताकि लोगों को घर भेजा जा सके। हमें पास नहीं जारी किया गया।

24 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल टीम आई। उन्होंने लोगों की जांच की। 26 मार्च को हमें एसडीएम के ऑफिस में बुलाया गया और डीएम से भी मुलाकात कराया गया। हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा।

27 मार्च को छह लोगों की तबीयत खराब होने की वजह से मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। 27 मार्च को एसडीएम और डब्‍ल्‍यूएचओ  की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई, जिन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया।

28 मार्च को एसीपी लाजपत नगर के पास से नोटिस आया कि हम गाइडलाइंस और कानून का उलंघन कर रहे हैं। हमने इसका पूरा जवाब दूसरे ही दिन भेज दिया।

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30 मार्च को अचानक ये खबर सोशल मीडिया में फैल गई कि कोराना के मरीजों की मरकज में रखा गया है और टीम वहां रेड कर रही है। मुख्यमंत्री भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए। अगर उनको हकीकत मालूम होती तो वह ऐसा नहीं करते।

हमने लगातार पुलिस और अधिकारियों को जानकारी दी कि हमारे यहां लोग रुके हुए हैं। वह लोग पहले से यहां आए हुए थे। उन्हें अचानक इस बीमारी की जानकारी मिली। हमने किसी को भी बस अड्डा या सड़कों पर घूमने नहीं दिया और मरकज में बंद रखा, जैसा कि प्रधानमंत्री का आदेश था। हमने जिम्मेदारी से काम किया।

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मरकज की ओर से जारी किए गए उपरोक्‍त बयान की मानें तो दिल्‍ली को कोरोना वायरस जैसे गंभीर खतरें में डालने वालों में दिल्‍ली पुलिस व प्रशासन की अहम भूमिका है।

मरकज का बयान सामने आने के बाद लोगों का गुस्‍सा दिल्‍ली पुलिस प्रशासन के साथ ही केजरीवाल सरकार और उसके स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के प्रति भी देखने को मिल रहा है। लोगों का मानना है कि पुलिस प्रशासन ने समय रहते मरकज के लोगों की बात मानकर गंभीरता दिखातें हुए कार्रवाई की होती तो आज स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। मांग करने पर  वाहनों का प्रबंध कर लोगों को उनके घरों को भेजा जा सकता था या फिर बड़ी संख्‍या में होने के चलते दिल्‍ली में ही उन्‍हें अलग-अलग रखने का प्रबंध किया जा सकता था, लेकिन अपनी कमियों को छिपाने के लिए अब पुलिस प्रशासन व सरकार दिल्‍ली समेत अन्‍य कुछ जगाहों पर कोरोना वायरस के फैलने का ठीकरा तबलीगी मरकज पर ही फोड़ रहा है।

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वहीं मरकज पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए बेचैन केजरीवाल सरकार और मरकज पर घोर अपराध करने का आरोप लगाने वाले उसके स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को किसी को कसूरवार ठहराने से पहले मामले की गंभीरता से पड़ताल कर लेनी चाहिए।

अफसोस जता धर्म गुरु ने कि जांच की मांग, तबलिगियों से भी कि अपील

वहीं इस पूरे मामले लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अफसोस जताते हुए जांच कराने की मांग की है। साथ ही उन्‍होंने अपील करते हुए कहा है कि मरकज में शामिल हुए लोग चाहे जहां भी हो सभी अपनी जानकारी प्रशासन को दें और अपनी जांच कराएं। जिससे कि किसी दूसरे में आपके जरिए यह बीमारी न फैले।

केजरीवाल सरकार के विधायक ने भी उठाया सवाल

आज केजरीवाल सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन के बयान के बाद आप के ही विधायक ने एक गंभीर सवाल खड़ा किया है। आप विधायक अमानातुल्‍लाह खान ने मंगलवार को ट्विट कर सवाल उठाया है। आज अपने एक ट्विट में उन्‍होंने दावा किया कि, “23 मार्च को रात 12 बजे मैंने डीसीपी साउथ ईस्‍ट और एसीपी निजामुद्दीन को बता दिया था कि निजामुद्दीन मरकज में 1000 के आसपास लोग फंसे हुए हैं, फिर पुलिस ने इनको भेजने का इंतजाम क्यों नही किया।

दूसरी ओर अब मरकज के बयान और कई सवाल उठने के बाद दिल्‍ली पुलिस-प्रशासन की ओर से बयान आना अभी बाकी है। समझा जा रहा है कि जल्‍द ही पुलिस प्रशासन अपना पक्ष रखते हुए स्थिति को साफ करेगी।

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